जातीय जनगणना के प्रति नीतीश सरकार गंभीर नहीं, सिर्फ तारीख पर तारीख दी जा रही है – सुशील
पटना 09 नवंबर : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज आरोप लगाया कि महागठबंधन सरकार जातीय जनगणना के प्रति गंभीर नहीं है और उसने सर्वदलीय बैठक के निर्णय तथा मंत्रिमंडल की मंजूरी को ठंंडे बस्ते में डाल दिया है।
श्री मोदी ने बुधवार को यहां बयान जारी कर कहा कि एक जून 2021 की सर्वदलीय बैठक के निर्णय और 2 जून को मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार जातीय जनगणना शुरू करने को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना का काम दो चरणों में होना था, जबकि पांच महीने बीतने के बाद अभी मकानों की गिनती और नम्बरिंग का पहला चरण भी शुरू नहीं हुआ है।
भाजपा नेता ने कहा कि दूसरे चरण में जातीय और आर्थिक गणना शुरू होनी थी,लेकिन सरकार ने इस पूरे अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया।उन्होंने कहा कि दो चरणों वाली जातीय जनगणना शुरू करने से पहले जिला, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों का जो प्रशिक्षण होना था, वह भी नहीं हो पाया है।
श्री मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना के आंकड़े दर्ज करने के लिए जब ऐप और पोर्टल तक अभी विकसित नहीं किये गए हैं, तब सरकार की नीयत पर सवाल उठेंगे ही। उन्होंने कहा कि सरकार जातीय जनगणना कराने पर गंभीर नहीं है, इसलिए केवल तारीख पर तारीख दी जा रही है।
भाजपा नेता ने कहा कि निकाय चुनाव के नाम पर और जातीय गणना को छह महीना टालने की तैयारी की जा रही है । उन्होंने कहा कि अगर सरकार गंभीर है, तो जनगणना का काम जल्द शुरू करे और हर स्तर पर सुझाव लेने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाये। ऐसी बैठकें हर महीने होनी चाहिए ताकि काम में तेजी आए।