डोभाल, उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा में शामिल
वाशिंगटन 31 जनवरी : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन ने वैश्विक विकास और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने तथा साझा राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करने वाली प्रौद्योगिकियों पर साझेदारी को मजबूत करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों (आईसीईटी) पर दोनों देशों की पहल के उद्घाटन समारोह में मंगलवार को भाग लिया।
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने ट्वीट किया,“इंडिया हाउस में एक अनूठा और विशेष स्वागत! श्री अजीत डोभाल, श्री जेक सुलिवन, वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो, भारत और अमेरिका के सीईओ तथा प्रमुख विश्वविद्यालयों के नेतृत्व की मेजबानी करके प्रसन्नता हुई। महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में द्विपक्षीय सहयोग के निर्माण पर व्यावहारिक बातचीत हुई।”
आज यहां पहुंचे श्री डोभाल ने अमेरिका के ज्वाइंट्स चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क मिले से भी मुलाकात की।
वाशिंगटन में भारत के दूतावास ने ट्वीट किया कि बैठक के दौरान भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर उपयोगी चर्चा हुई।
गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने वालों ने क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के अवसरों पर चर्चा की। साथ ही इसमें अकादमिक और सरकारी अनुसंधान आदान-प्रदान को बढ़ाने तथा निजी क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया।
श्री डोभाल और राजदूत संधू ने प्रौद्योगिकी विकास और अवशोषण के लिए भारत की उल्लेखनीय क्षमता पर प्रकाश डाला। साथ ही, दोनों ने न केवल आर्थिक विकास के एक सक्षमकर्ता के रूप में बल्कि सामाजिक समावेश के एक साधन के रूप में प्रौद्योगिकी के भारत के उपयोग पर जोर दिया।
श्री सुलिवान ने कहा,“आईसीईटी प्रौद्योगिकी सहयोग से कहीं अधिक है, यह हमारे सामरिक अभिसरण और नीति संरेखण में तेजी लाने का एक मंच है।”
दोनों सरकारों के लिए आगे के काम पर प्रकाश डालते हुए श्री सुलिवन ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत सरकारें ‘फर्स्ट’ की एक सूची स्थापित करना चाहती हैं। उन्होंने
इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आईसीईटी भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी को गति देगा और दोनों देशों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाएगा।
श्री डोभाल के साथ एक प्रतिनिधिमंडल है जिनमें पांच प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं- भारत के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, इसरो के अध्यक्ष, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, दूरसंचार विभाग के सचिव और डीआरडीओ के महानिदेशक।