अमृतसर के फेफड़े सिर्फ आठ ही दिन में हो गये काले
अमृतसर 18 अप्रैल : पंजाब में गत दिनों अमृतसर के एक व्यस्त चौक पर लगाये गये कृत्रिम सफेद फेफड़े सिर्फ आठ ही दिन में काले हो गये जो शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण और इससे लोगों की ग्रस्त सेहत का सूचक है।
फेफड़ो का बिलबोर्ड क्लीन ऐयर पंजाब द्वारा इकोसिख, वायस आफ अमृतसर, फुलकारी: वूमैन आफ अमृतसर, अमृतसर विकास मंच के साथ साथ अमृतसर नगर निगम के सहयोग से शहर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के प्रति एक जागरुक अभियान के तहत स्थापित किया गया था। इस बिलबोर्ड का शीर्षक – बिलबोर्ड देट ब्रीथ्स जो कि आठ अप्रैल को नोवल्टी चौक में स्थापित किया गया था।
चॉक व्हाईट फेफड़ों को हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट ऐयर (एचईपीए) फिल्टर का इस्तेमाल करके बनाया गया था। यह फिल्टर्स धूल को रोकने के लिये आपरेशन थियेटरों में इस्तेमाल किये जाते हैं । इन कृत्रिम फेफड़ों में पंखे भी फिट किये गये हैं जो कि जो कि हवा को फेफड़ों की तरह सांस लेते हुए हवा को अपनी ओर खींचते हैं।
विषेशज्ञों के साथ साथ अमृतसर के स्थानीय निवासियों ने पंजाब सरकार से इस एक्सपेरिमेंट को खतरे की घंटी मानने और क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिये कड़े कदम उठाने का आहवान किया।
वायस आफ अमृतसर की वाईस प्रेजीडेंट इंदु अरोड़ा के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर के उच्च स्तर के कारण रंग बदल गया है जो कि अमृतसर के वायु प्रदूषण के उच्च स्तर की ओर संकेत है। उन्होंनें बताया कि हम सड़को और शहर को सुंदर बनाने का प्रयास तो करते हैं परन्तु हवा की गुणवत्ता को साफ करने की अनदेखी करते है और यहीं हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। उन्होंनें कहा कि यह काले पड़े फेफड़े अमृतसर के लोगों को दिखाने के लिये सबसे प्रभावी तकनीकों में से एक है।
अमृतसर की रेडियोलोजिस्ट डा अमृता राणा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि केवल एक सप्ताह में स्थानीय नागरिकों और प्रशासन ने कृत्रिम सफेद फेफ़़ड़ों को काला होते देखा है, जिससे पता चलता है कि हमारे शरीर में भी यही प्रक्रिया हो रही है। इसलिये यह जरुरी है कि हम सभी मिलकर वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम करें। उन्होंनें चेताया कि सांस तकलीफ, पुरानी और एपिसोडिक खांसी, ब्रोंकाईटिस, सांस लेने में तकलीफ, कैंसर, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रहे प्रदूषण से ही हो रही है। पैदल चलना, साइकलिंग करना, पब्लिक वाहनों का इस्तेमाल आदि इस दिशा में सार्थक कदम होंगें।
नैश्नल क्लीन ऐयर एक्शन प्लान (एनसीएपी) के तहत पंजाब में कुल नौ नान ऐटेनेबल प्रति मिलियन प्लस शहर हैं और अमृतसर उन्हीं में से एक है। एक नान एटेनेबल शहर वह है जो केन्द्रीय प्र्यावरण मंत्रालय द्वारा निरधारित वायु गुणवत्ता मानकों का पूरा नहीं करता है। स्थानीय निवासियों ने यह भी बताया कि जिस गति से अशुद्ध फेफड़े काले हो गये हैं वह इस बात का बात का सूचक हैं कि अमृतसर के लिये और अधिक ऐयर क्वालिटी मोनिटरिंग स्टेशंस होने चाहिये क्योंकि मौजूदा बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है।
इकोसिख की अध्यक्षा डा सुप्रीत कौर के अनुसार आठ दिनों में काला हो गया लंग्स बिलबोर्ड सभी को सच्चाई पेश कर रहा है। दूषित हवा में सांस लेने के वर्षो बाद हमारे फेफड़ों की स्थिति पर विचार किया जाना चाहिये। उन्होंनें कहा कि अब समय आ गया है हम सभी वायु प्रदूषण के प्रति जागरुक हो और सभी स्थानीय नागरिक मिलकर इस पर कार्यवाही करें। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थानीय नागरिक और संबंधित अधिकारी वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिये इसे चेतावनी के रूप में लेंगें।