ऊटीं बैंक डकैती के जरिये मद्रास क्रांति की पटकथा लिख दी थी शंभूनाथ ने
इटावा 14 अगस्त : ऊंटी बैंक को लूट कर अंग्रेजी हुकूमत को ललकारने का साहस दिखाने वाले चंबल के लाल शंभूनाथ आजाद ने मद्रास क्रांति की पटकथा लिख दी थी।
मात्र 17 साल की आयु में कचौरा घाट निवासी शंभूनाथ स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़े थे। दिसम्बर 1930 में उन्हे और इंदर सिंह गढ़वाली को पिस्तौलों से भरे बैग के साथ गिरफ्तार किया गया था। दोनों को लाहौर जेल में तीन वर्ष का कारावास दिया गया। जेल में शम्भूनाथ ‘सिविल एंड मिलिट्री गजट’ पढ़ते थे। एक दिन इस अंग्रेजी दैनिक में मद्रास गवर्नर का भाषण छपा । इसमें कहा गया था कि मद्रास में न क्रांतिकारी गतिविधियां है और न उनके रहते पनप सकती है। यह पढ़ते है शम्भूनाथ आज़ाद का खून खौल उठा। उन्होंने संकल्प लिया कि जेल से छूटते ही मद्रास में ऐसा धमाका करेंगे कि इंग्लैंड तक दहल जाएगा ।
जेल से छूटते ही शंभूनाथ साथियों के साथ मद्रास पहुंचे। तय हुआ ऊटी बैंक डकैती के बाद मद्रास और बंगाल के गवर्नरों का खात्मा कर दिया जाएगा। 29 अप्रैल को गवर्नर का ग्रीष्मकालीन दरबार लगना था । इसमें मद्रास और बंगाल के गवर्नर के अलावा जनरल एंडरसन को सम्मिलित होना था। एंडरसन को आयरलैंड से विशेष रूप से भारत में क्रांतिकारी आंदोलन को कुचलने के लिये भेजा गया था।
चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम राना ने बताया कि 28 अप्रैल, 1933 को दोपहर 12 बजे शंभूनाथ ने अपने छह साथियों के साथ जान पर खेलकर 80 हजार रुपये ऊटी बैंक से लूट लिये। बैंक एक्शन में हिस्सा लेने वाले चार क्रांतिकारियों को दो दिन बाद ही पकड़ लिया गया। चारो तरफ से घिरता देख एक मई को पार्टी कार्यालय में विस्फोटक सामग्री से बम बना लिया गया। उसी शाम को रायपुरम समुद्र तट पर बम परीक्षण किया गया।
एक प्रलयकारी विस्फोट की आवाज और धुएं के बादलों ने चारों तरफ से शहर को ढक लिया। क्रांतिकारी जब मकान पर पहुंचे तो पता लगा कि रोशनलाल नहीं आए। बम फेंकते उनका एक हाथ उड़ गया और बुरी तरह झुलसी हालत में उनको पुलिस उठाकर जनरल अस्पताल ले आई। रोशनलाल को उस समय भी होश था पर उन्होंने जुबान नहीं खोली। अस्पताल पहुंचने के लभभग तीन घंटे बाद रोशनलाल शहीद हो गये।
चार मई, 1933 को पुलिस ने मद्रास शहर के पार्टी कार्यालय को घेर लिया। क्रांतिकारियों की 5 घंटे तक पुलिस से सशस्त्र मुठभेड़ हुई जिसमें गोविन्दराम बहल शहीद हुए। गोलियां खत्म होने के बाद तीनों क्रांतिकारी पकड़ लिए गए। क्रांतिकारियों की पैरवी एस सत्यमूर्ति एडवोकेट ने निःशुल्क की। ऊटी बैंक कांड में 25 साल तथा मद्रास सीटी बम केस में 20 साल के काले पानी की सजा शंभूनाथ आजाद को हुई। दोनों सजाएं साथ-साथ चलने की अपील भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।