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भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है राजभवन : विधानसभा अध्यक्ष

रांची, 26 जून : झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने राजभवन पर सवाल उठाया है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक कार्यकर्ता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड को विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेजा गया, लेकिन राजभवन से बिल को लौटा दिया । 1932 खतियान को विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेजा, वो भी लोटा दिया गया। राजभवन भी भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।बाद में उन्होंने अपने भाषण को अपने ट्वीटर हैंडल पर भी डाला।

उल्लेखनीय है कि 11 नवंबर 2000 को झारखंड सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरना आदिवासी धर्म कोड बिल पारित कराया था। उसे राजभवन की सहमति लिए बिना केंद्र सरकार को भेज दिया गया। राजभवन को सिर्फ इसकी औपचारिक सूचना दी गयी। अमूमन ऐसा नहीं होता है और इसमें बिल के पास होने में अड़चनें आती हैं।

इसके बाद जनवरी 2023 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस के द्वारा 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति के बिल को राज्य सरकार को वापस लौटा दिया था। उन्होंने झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा, सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों को स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक को वापस भेजा था।

विधानसभा अध्यक्ष श्री महतो ने कहा, झारखंड मुक्ति मोरचा के आंदोलन में घोषणापत्र में यह बात है। हम लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं। हम नारा लगा चुके हैं झारखंडी की हो पहचान। मुख्यमंत्री ने 1932 के खतियान विशेष सत्र बुलाकर राजभवन को भेजा। राजभवन ने उस बिल को वापस कर दिया। राजभवन किसके इशारे पर चलता है यह पता करना होगा। पिछड़ा वर्ग के आक्षण को 27 प्रतिशत कर दिया। यह किसका संकेत है। कौन दुश्मन है कौन दोस्त है समझना चाहिए।

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