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आवास-ऋण के लिए मूल-धन पर डेढ़ लाख रूपए तक वार्षिक कटौती का लाभ दिया जाए: नाइट फ्रैंक

नयी दिल्ली, 05 जनवरी : रियल एस्टेट क्षेत्र की प्रमुख कंसल्टेंसकी कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया ने मकान खरीदनों वालों के वित्तीय सामर्थ्य को बढ़वा देने के लिए आवास ऋण की मूल राशि के भुगतान पर कर योग्य आया में सालाना 1,50,000 रुपये की अलग के कटौती की छूट दिए जाने की सिफारिश की है।

नाइट फ्रैंक ने आवास ऋण के ब्याज पर कटौती की सीमा को बढ़ा कर पांच लाख रुपये सालाना करने तथा किफायती मकानों की परियोजनाओं पर कर-अवकाश की योजना के लाभ के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने की भी सिफारिश की है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने केंद्रीय बजट 2023-24 में रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए सिफारिश में कहा है कि आवास ऋण के मूलधन के पुनर्भुगतान के लिए 150,000 की एक अलग वार्षिक कटौती आवास की सामर्थ्य में सुधार करेगी और गृह ऋण का विकल्प चुनने के लिए बहुत आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगी।

श्री बैजल का तर्क है कि आयकर अधिनियम की धारा 80 सी मकान पर निवेश पर केंद्रित कोई लाभ या छूट प्रदान नहीं करती है जब कि अधिकांश करदाताओं के लिए मकान पर निवेश उनके जीवनकाल का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण व्यय की मद होता है।
उन्होंने कहा कि निवेशकों के पास निवेश के कई विकल्प होते हैं और होम लोन की मूल राशि पर विशेष कर लाभ न होने से बहुत से निवेशक घर खरीदने के प्रति उदासीन हो जाते हैं।

नाइट फ्रैंक इंडिया के प्रमुख का कहना है, ‘ रियल एस्टेट क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ा योगदान करने वाले क्षेत्रों में एक है और दूसरा सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है। यह क्षेत्र विनिर्माण से लेकर सेवाओं तक 200 से अधिक उद्योग एवं सेवाओं को चलाता है। रियल एस्टेट को दिया गया कोई भी प्रोत्साहन सभी सहायक उद्योगों को भी प्रोत्साहित कर सकता है।” कंपनी ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट में कहा था कि ब्याज महंगा होने से प्रमुख बाजारों में मकान खरीदने वालों की घरेलू आय और मकान की किस्त के आधार पर मापा जाने वाला वित्तीय सामर्थ्य घटा है।
नाइट फ्रैंक ने कहा है किआयकर की धारा 24 में इस समय आवास ऋण ब्याज पर 2 लाख रुपये तक की कटौती की छूट है इसे बढ़ा कर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए । इससे लोगों की मकान खरीदने की सामर्थ्य बढ़ेगी और आवास की बिक्री को प्रोत्साहन मिलेगा।

नाइट फ्रैंक ने आयकर अधिनियम की धारा 54 के तहत निर्माणाधीन संपत्तियों को पूरा करने की समय-सीमा मौजूदा तीन के बजाय पांच साल तक बढ़ाने की सिफारिश की है। इस धारा के तहत मौजूदा घर की बिक्री से होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ का उपयोग नई संपत्ति खरीदने या निर्माण करने में किया जा सकता है। यदि छूट के लिए निवेश एक निर्माणाधीन संपत्ति के माध्यम से किया जाता है, तो इसका दावा तभी किया जा सकता है जब संपत्ति का निर्माण पहले के घर की बिक्री के तीन साल के भीतर पूरा हो गया हो।
श्री बैजल ने कहा कि धारा 80आईबीए के तहत कर अवकाश का लाभ उठाने के लिए किफायती आवास परियोजना पंजीकरण की समय सीमा समाप्त हो गई है। इसे बढ़ाने और पुनर्जीवित करने की जरूरत है।
धारा 80आईबीए में किफायती आवास परियोजनाओं के लिए 100 प्रतिशत कर अवकाश, 31 मार्च, 2022 तक स्वीकृत परियोजनाओं के लिए उपलब्ध था।

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