ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए संहिताबद्ध नियम लागू किये जाएं: कैट
नयी दिल्ली, 23 दिसंबर : कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि ई-काॅमर्स कंपनियों के लिए संहिताबद्ध नियम लागू नहीं किये गये तो देश के करोड़ों छोटे व्यापारियों के व्यवसाय को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जायेगा।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने शुक्रवार को यहां संवाददताओं से कहा कि ई-कामर्स कंपनियां प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं को अपना रही हैं या नहीं, इसकी जांच की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि ई-कॉमर्स कंपनियां पूरे बाजार पर कब्जा लें, उनकी व्यवसाय करने के पूरे तरीके और उनके द्वारा कर उल्लंघन आदि की जांच करवाया जाना जरूरी है।
श्री खंडेलवाल के साथ संवाददाता सम्मेलन में मौजूद ऑल इंडिया मोबाइल फोन रिटेलर्स एसोसिएशन (एमरा) के अध्यक्ष कैलाश लख्यानी ने कहा कि तेजी से बढ़ रहे ई-कॉमर्स व्यापार के लिए कोई कायदे या नियम नहीं बनाये गये हैं। इससे इन कंपनियों को देश में मनमाने तरीके से अपना कारोबार करने का पूरा मौका मिल रहा है। इन कंपनियों की वजह से छोटे व्यापारियों का व्यवसाय चौपट हो रहा है।
साउथ इंडिया आर्गनाइज्ड रिटेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीधर ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियम एवं कायदे तुरंत घोषित करने की मांग पर जोर देने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय संगठनों का एक बड़ा फोरम बनाया जा रहा है, जो संयुक्त रूप से और मजबूत तरीके से देश भर में इस मुद्दे पर एक बड़ा आंदोलन छेड़ेगा।
व्यापारी नेताओं ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से अनियंत्रित ई-कॉमर्स गतिविधियों ने खुदरा व्यापार के 40 से अघिक उत्पाद शृंखलाआं के व्यापार को बुरी तरह से नष्ट कर दिया है। इनमें सबसे अधिक असर मोबाइल फोन के व्यापार पर पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में 50 हजार से अधिक मोबाइल फोन स्टोर बंद हो गये हैं। मोबाइल फोन बनाने वाली भारतीय कंपनियों की हालत इन विदेशी कंपनियों की वजह से खस्ता हो गयी है।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि उन्होंने इन सभी मुद्दों पर छह सूत्री ई-कॉमर्स चार्टर जारी किया है, जिसमें सरकार से आग्रह किया है कि भारत में तुरंत ई-कॉमर्स पॉलिसी घोषित की जाए। ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता संरक्षण नियमों को तुरंत लागू किया जाए। ई-कॉमर्स के लिए एक सक्षम रेगुलेटरी अथॉरिटी का तुरंत गठन हो, एफडीआई रिटेल नीति के प्रेस नोट दो के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए, वस्तु एवं सेवाकर प्रणाली का सरलीकरण किया जाए तथा रिटेल व्यवसाय के लिए एक राष्ट्रीय नीति तत्काल घोषित की जाए।