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नयी विदेश व्यापार नीति 5डी नीति है: बरथवाल

नयी दिल्ली, 31 मार्च : वाणिज्य सचिव सुनील बरथवाल ने विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 को 5डी
(पांच-आयामी) करार देते कहा है कि इसमें-ड्यरेशन(समयावधि की सीमा हटाने), डायनिज्म (गतिशीलता), डायरेक्शन (दिशा), डीसेंन्ट्रलाइजेशन और डोमेस्टिक करेंसी (रुपये में व्यापार) को प्रोत्साहन-ये इसके पांच विशेष
पहलू स्पष्ट हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा घोषित नयी एफटीपी 2030 की घोषणा के बाद इस नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस नीति में 2023-26 तक के लिए एक व्यापार सुगमता कार्ययोजना पेश की गयी है तथा ‘छूट की जगह सहूलियत या सुविधा को पर बल दिया गया है।

उन्होंने योजना के 5डी (पांच प्रमुख आयामों) की व्याख्या करते हुए कहा, “ पहला ‘डी’ पालिसी ड्यूरेशन (नीति की समयावधि) का है। इस बार हमने सन-सेट उपबंध (पटाक्षेप की अवधि का उपबंध) हटा दिया है जिससे किसी नीति की अवधि के समाप्त होने की तिथि के बाद को लेकर अनिश्चितताएं दूर होंगी।वैश्विक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए ‘जब भी, जैसी भी जरूरत पड़ी हम व्यापार जगत से सक्रिय परामर्श की व्यवस्था के साथ नीति में सुधार करते रहेंगे।”

उन्होंने निर्यातकों से ‘सब्सिडी का भरोसा छोड़ कर प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने’ का आह्वान करते हुए कहा कि दूसरा ‘डी’ नीतिगत डायनमिज्म (गतिशीलता) को दर्शाता है। यह नीति एक गतिशील दुनिया में आप को (निर्यात जगत) को गतिशीलता देगी।’ उन्होंने कहा कि इस नीति का तीसरा ‘डी’ इसकी स्पष्ट डायरेक्शन (दिशा) है। इसमें 2030 तक दो ट्रिलयल डालर (दो लाख करोड़ डालर) के निर्यात की स्पष्ट दिशा है।”

उन्होंने कहा, “ अभी माल सामग्री के वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा 1.8 प्रतिशत और सेवाओं सहित कुल निर्यात में हिस्सा 4 प्रतिशत है। भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार और संभावनाओं को देखते हुए 2030 तक कुल वैश्विक निर्यात में देश का हिस्सा 2030 तक सात से 10 प्रतिशत तक पहुंचाया जा सकता है।”

वाणिज्य सचिव ने कहा कि नीति का चौथा ‘डी’ डीसेंट्रलाइजेशन (विकेंद्रीकरण) है। नीति में जिला स्तार पर निर्यात के प्रोत्साहन (हब), ई-कामर्स निर्यात को एफटीपी के पूरे लाभ देने और एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन, इसी दिशा में उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत कदम हैं।

उन्होंने रुपये में व्यापार को प्रोत्साहन देने की दिशा में किए गए निर्णयों को इस नीति का पांचवां ‘डी’ बताया और कहा,
“ यदि किसी देश की मुद्रा फेल हो गयी है, हम उसके साथ रुपये में व्यापार को प्रोत्साहन देने को तैयार हैं। इससे उस देश को हमारा निर्यात कारोबार बरकार रखा जा सकेगा, हमारा निर्यात प्रभावित नहीं होगा। तथा उस देश का संकट भी कम होगा।”

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