वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म “16 भयानिथनिले” की व्यावसायिक सफलता के बाद कमल हसन स्टार कलाकार बन गये। वर्ष 1981 में कमल हसन ने हिंदी फिल्मों की ओर भी अपना रूख कर लिया और निर्माता एल. प्रसाद की फिल्म “एक दूजे के लिये” में अभिनय किया। वर्ष 1982 में कमल हसन की एक और सुपरहिट तमिल फिल्म “मुंदरम पिरई रिलीज” हुयी जिसके लिये वह अपने सिने करियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
किये गये। बाद में वर्ष 1983 में “सदमा” शीर्षक से यह फिल्म हिंदी में भी रिलीज हुई।
वर्ष 1985 में कमल हासन को रमेश सिप्पी की फिल्म “सागर” में ऋषि कपूर और डिंपल कपाडिया के साथ कामकरने का अवसर मिला। आर. डी. बर्मन के सुपरहिट संगीत और अच्छी पटकथा के बावजूद यह फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी लेकिन कमल हसन के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। इस फिल्म में अपने दमदारअभिनय के कमल हासन सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये ।
वर्ष 1985 में कमल हासन की एक और सुपरहिट फिल्म “गिरफ्तार” प्रदर्शित हुयी। जिसमें उन्हें सुपरस्टार इमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1987 कमल हासन के सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उन्होंने एक मूक फिल्म “पुष्पक” में सशक्त अभिनय से दर्शकों को अचंभित कर दिया। वर्ष 1987 में ही कमल हासन को मणिरत्नम की फिल्म “नायकन” में भी काम करने का मौका मिला। फिल्म में वेलु नायकर केकिरदार को कमल हसन ने जीवंत कर अपना नाम भारत के महान अभिनेताओं में शुमार करा दिया। कमल हासन “नायकन” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजे गये ।