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सरदार पटेल ना होते तो भारत का मानचित्र आज जैसा नहीं होता: शाह

नयी दिल्ली 31 अक्टूबर : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने आजादी के बाद देश को एकता के सूत्र में बांधा और यदि वह नहीं होते तो भारत का मानचित्र आज जैसा नहीं होता।

श्री शाह ने सोमवार को सरदार पटेल की जयंती के मौके पर गुजरात एजुकेशन सोसाइटी द्वारा यहां सरदार पटेल विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा , “ सरदार पटेल ना होते तो भारत का मानचित्र जैसा आज है वैसा ना होता। सरदार साहब की मजबूत दृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्व के कारण ही आज लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार, जूनागढ़, जोधपुर, हैदराबाद और कश्मीर भारत के अभिन्न अंग हैं।”

उन्होंने कहा कि आजादी से पहले भारत पर राज कर रहे ब्रिटेन ने भी कहा था कि उसके हुक्मारानों के जाते ही यह देश टुकड़ों में बंट जायेगा लेकिन सरदार पटेल ने इन सभी आशंकाओं को निराधार साबित कर दिया। उन्होंने कहा , “

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि अंग्रेजों के जाते ही भारत खंड-खंड हो जाएगा। लेकिन सरदार साहब ने देश को एक किया और आज भारत उसी ब्रिटेन को पीछे छोड़ विश्व की 5 वीं अर्थव्यवस्था बना है।

विश्व के सबसे परिपक्व लोकतंत्र की नींव डालने का काम सरदार पटेल ने किया। ”
श्री शाह ने कहा कि सरदार पटेल के अहिंसा के विचार भी बहुत वास्तविक थे और उन्होंने हर समस्या का समाधान खोजकर यश पाने की इच्छा ना रखते हुए परिणाम लाने का काम किया।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने लोगों से जुड़ कर उन्हें समझा तथा उनमें देश भक्ति की भावना भर उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने कहा , “ आंदोलन, देश भक्ति व लोगों को प्रेरित करना ये सिर्फ विचारों से नहीं होता इसके लिए लोगों से जुड़ाव, उन्हें समझने की शक्ति व उनकी तरह सोचने की जरूरत होती है और सरदार साहब में इन तीनों का संगम था।

वो कल्पना को जमीन पर चरितार्थ करने हेतु परिश्रम व पुरुषार्थ करने वाले कर्मयोगी थे।”
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि किसानों के शोषण के खिलाफ भी सरदार पटेल ने मजबूत आवाज उठायी थी और आंदोलन
का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा , “ देश में सहकारिता आंदोलन को जमीन पर उतारने का काम भी सरदार पटेल ने ही किया था। वर्ष 1920-30 के दशक में किसानों के शोषण के खिलाफ जब आवाज उठी तब पटेल जी ने किसानों को एकत्रित कर बखूबी आंदोलनों का नेतृत्व किया उसके बाद गाँधी जी ने उन्हें सरदार की उपाधि दी।”

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