अंटार्कटिका विधेयक हंगामे के बीच राज्यसभा से पारित
नयी दिल्ली 01 अगस्त : राज्यसभा ने सैन्य और परमाणु गतिविधियों के नजरिये से महत्वपूर्ण भारतीय अंटार्कटिका विधेयक 2022 को प्रवर समिति में भेजने के विपक्ष के प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए सोमवार को इसे हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसके बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।
सदन ने विधेयक में संशोधन से संबंधित विपक्षी सदस्यों ए ए रहीम, वी शिवदासन , जॉन ब्रिटास और विनय विश्वम के प्रस्तावों को भी ध्वनिमत से खारिज कर दिया।
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। विधेयक पारित होने के बाद उप सभापति भुवनेश्वर कलिता ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में विसैन्यीकरण सुनिश्चित करने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण के संरक्षण के उद्देश्य से बनीं अंतरराष्ट्रीय संधियों एवं नियमों के अनुपालन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस विधेयक को लाया गया है। इसमें दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में कचरा निस्तारण, क्षेत्र में अनुसंधान आदि कार्यों के अनुमोदन के लिए समिति के गठन और सीमित शोध कार्यों को अनुमति सुनिश्चित किया गया है।
विधेयक पर हंगामे के बीच ही हुई बेहद संक्षिप्त चर्चा में सदस्यों ने इसे महत्वपूर्ण विधेयक बताया तथा इसका समर्थन किया। विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटास ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के लिए प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। इसके अलावा सदन ने ए ए रहीम, वी शिवदासन और विनय विश्वम के संशोधन प्रस्तावों को भी नामंजूर कर दिया। डा. जितेन्द्र सिंह ने हंगामे के बीच ही चर्चा में हिस्सा लेने वाले सदस्यों को धन्यवाद दिया और इसके बाद सदन ने विधेयक पारित कर दिया।
इस विधेयक की पृष्ठभूमि यह है कि वर्ष 1959 में अंटार्टिका को लेकर एक संधि हुई थी। भारत 1983 में इसका हिस्सा बना था। इस क्षेत्र में सैन्य एवं खनन गतिविधि नहीं हो, परमाणु परीक्षण ना हों, शोध कार्य जलवायु परिवर्तन और भौगोलिक एवं पर्यावरण पर ही हों, इसे लेकर संधि में शामिल देशों के लिए इस आशय का कानून बनाना आवश्यक है और इस विधेयक का उद्देश्य भी यही है।
इस विधेयक के प्रावधान किसी भी व्यक्ति, जहाज या विमान पर लागू होंगे जो विधेयक के तहत जारी परमिट के अंतर्गत अंटार्कटिका के लिए भारतीय अभियान का हिस्सा है। अंटार्कटिका के क्षेत्रों में अंटार्कटिका का महाद्वीप, जिसमें इसके आइस शेल्फ्स शामिल हैं, और इससे सटे महाद्वीपीय शेल्फ के सभी क्षेत्र, सभी द्वीप (उनके आइस शेल्फ्स सहित), और 60 डिग्री अक्षांश के दक्षिण में स्थित सभी समुद्र और वायु क्षेत्र शामिल है।
विधेयक के प्रावधानाें के अनुसार केंद्र सरकार अंटार्कटिका शासन और पर्यावरणीय संरक्षण समिति बनाएगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे। रक्षा, विदेशी मामलों जैसे विभिन्न मंत्रालयों तथा राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय जैसे संगठनों से इसके लिए 10 सदस्यों को नामित किया जाएगा। मंत्रालयों से नामित सदस्य कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होने चाहिए। इसके अतिरिक्त अंटार्कटिका के वातावरण और भू-राजनैतिक क्षेत्रों से संबंधित दो विशेषज्ञ केंद्र सरकार द्वारा नामित किए जाएंगे।