ट्रैफिकिंग से छुड़ाये गए बच्चों ने सरकार से की व्यापक कानून लाने की अपील
दिल्ली 25 मार्च : बाल यौन शोषण, वेश्यावृत्ति और बाल दासता के शिकार से आजाद कराये गये बच्चों ने ‘मानव तस्करी’ रोकने के लिए सरकार और न्यायपालिका से कारगर व व्यापक कानून बनाने की अपील की है।
चाइल्ड ट्रैफिकिंग से आजाद करवाए गए बच्चे या सर्वाइवर ने राजधानी दिल्ली में हाल ही में संपन्न हुए ‘नेशनल कंसल्टेशन टू कॉम्बैट ह्यूमन ट्रैफिकिंग’ में पुरजोर तरीके से अपनी आवाज उठाई। अशोक होटल में हुए इस कंसल्टेनशन में इन सवाईवर ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग रोकने के लिए एक व्यापक कानून लाने की अपील की। सामाजिक संगठन शक्तिवाहिनी ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के तकनीकी समर्थन और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ), बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए), इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) और प्रज्ज्वला के साथ साझेदारी में इस कंसल्टेशन का आयोजन किया था।
पीड़ितों ने अपनी लिखित अपील में सरकारी संगठनों, न्यायपालिका, नागरिक समाज संगठनों, वित्त पोषण एजेंसियों, सामुदायिक समूहों और नागरिकों से एक साथ आने और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खतरे से लड़ने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने के लिए सक्रिय हस्तक्षेप की मांग की। इन्होंने आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं से जुड़ाव के अपने अधिकारों की भी मांग की है।
अपील में ट्रैफिकिंग से बचे लोगों को इस खतरे के खिलाफ लड़ाई में अपने अनुभव का उपयोग करने, ह्यूमन ट्रैफिकिंग से लड़ने के लिए पर्याप्त धन, बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने वाले लोगों के लिए चुनावों में सीटों का आरक्षण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ाई में शामिल करना भी शामिल है।
इसके अलावा, अपील में बड़े पैमाने पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाने, सभी लड़कों और पुरुषों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के दुष्प्रभावों पर शिक्षित करना और ट्रैफिकिंग के विभिन्न रूपों एवं पीड़ितों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को पहचानना और पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित किए जाने की बात कही गई है। ट्रैफिकिंग के सवाईवर ने मासूम बच्चों और महिलाओं को बाल श्रम, वेश्यावृत्ति और बाल दासता की ओर आकर्षित करने वाली प्लेसमेंट एजेंसियों को विनियमित करने के लिए विशिष्ट कानून बनाने की भी अपील की।
इस महत्वपूर्ण मंच पर ट्रैफिकिंग की सवाईवर रहीं रीना रॉय (नाम बदला हुआ) ने कहा, “हमें उचित मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत होती है, जो हमें बचाए जाने पर नहीं मिलतीं। हम दोषी नहीं होते हैं लेकिन लोग हमसे ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे हम अपराधी हैं। हर दिन हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है। त्वरित अदालती कार्रवाई के जरिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ट्रैफिकिंग करने वालों को उनके अपराधों के लिए सजा दी गई है।”
ट्रैफिकिंग की एक और सर्वाइवर नाजिया बेगम ने कहा,“जब हमें बचाया जाता है, तो हम चाहते हैं कि अधिकारी उस दर्द को समझें, जिससे हम पीड़ित हैं और हमारे साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें। बचाए जाने के बाद, हम पहले से ही इस बात से डरे होते हैं कि समाज और परिवार हमारे साथ कैसा व्यवहार करेगा? हमें जरूरत है कि अधिकारियों को ट्रैफिकिंग से बचे लोगों के साथ संवेदनशील व्यवहार करने के लिए संवेदनशील होना चाहिए।”
बिहार के मानव तस्कर के पीड़ित मोहम्मद छोटू ने ट्रैफिकिंग के बाद की मुश्किलों के बारे में बताते हुए कहा, “उचित पुनर्वास योजनाओं तक पहुंच हमारे लिए बहुत जरूरी है। जब ट्रैफिक किया जाता है, तब ट्रैफिकर्स द्वारा हमारा लगातार शोषण किया जाता है। वे हमें डराते रहते हैं कि अगर म दद के लिए पुलिस से संपर्क करेंगे तो वो हमारे साथ क्रूर व्यवहार करेगी। इन चीजों के कारण, हम हमेशा उस दर्द को साझा करने में हिचकते हैं, जो हमें बचाए जाने के ठीक बाद हुआ था। हमारे लिए आजादी तक पहुंच होना बहुत महत्वपूर्ण है।”
इस कंसल्टेशन का उद्घाटन मुख्य अतिथि व नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ किया। इसमें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष, प्रियंक कानूनगो, एनसीपीसीआर की सदस्य सचिव, रूपाली बनर्जी सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष, रेखा शर्मा, रेलवे सुरक्षा बल के पुलिस महानिदेशक, संजय चंदर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।