जम्मू-कश्मीर

दिवाली से पहले मिट्टी के दीपक बनाने में कश्मीरी कुम्हार का अथक परिश्रम

श्रीनगर 13 अक्टूबर : जम्मू-कश्मीर के निवासी व मोहम्मद उमर नामक कुम्हार 24 अक्तूबर को होने वाली दीपावली से पहले मिट्टी के 20,000 दीयों के विशाल ऑर्डर को पूरा करने के लिए अपनी निशांत यूनिट में उत्साह के साथ अथक परिश्रम में जुटे हुए हैं।

उमर (27) एक कश्मीरी हैं और कॉमर्स में स्नातक हैं। वह पिछले वर्ष पूरी दुनिया में सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने दावा किया था कि उसके हाथ से बने मिट्टी के चमकीले बर्तन चीन और अमेरिका में मशीन से बने बर्तनों की तुलना में हाइजेनिक हैं।
उमर कश्मीर घाटी में मिट्टी के बर्तन उद्योग के लिए बहुत बड़ा सपना देखते हैं। वह इसे नया जीवन देने और इसे आधुनिक बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं जिससे कश्मीर में हाथ से बने मिट्टी के बर्तनों को सभी जगहों से ग्राहक मिल सकें।

कश्मीर में मिट्टी के बर्तनों के कारोबार से जुड़े लोगों ने इस काम को लगभग छोड़ दिया था। ये कारीगर घाटी से लगभग गायब हो चुके हैं क्योंकि हाई प्रोफ़ाइल जीवन वाले वर्तमान समाज से इनका कोई ग्राहक नहीं है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई कुम्हार सुबह से शाम तक काम करता है तो एक दिन में चाक पर लगभग 1,000 मिट्टी के दीपक बना सकता है। उन्होंने कहा कि मिट्टी को सुखाने और आग में डालकर उसे ठोस बनाने में समय लगता है।

उमर ने कहा कि मेरी यूनिट में एक दीपक की कीमत दो से पांच रुपये है, जबकि इसे बाजार में 10 रुपये प्रति दीपक के हिसाब से बेचा जाता है।

उमर को स्नातक करने के बाद नौकरी नहीं मिली तब उन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाने वाले अपने पारंपरिक व्यवसाय को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। नवोदित उद्यमी ने कहा, “मैं पिछले तीन वर्षों से इस व्यवसाय को सफलतापूर्वक चला रहा हूं और अच्छी कमाई कर रहा हूं।”

उमर ने चाक पर अपनी कई कलाकृतियों को प्रदर्शित किया है, जिसमें चावल के कटोरे, फूलों के बर्तन, जग और उनकी इकाई के बाहर लगे टाइल्स शामिल हैं। उमर चाक पर सदियों पुराने मिट्टी के कश्मीरी वाद्य यंत्र ‘तुंबकनारी’ बनाने में भी व्यस्त रहते हैं।

 

‘तुंबकनारी’ जम्मू कश्मीर का मूल संगीत वाद्ययंत्र है, जो मिट्टी से बना होता है जिसका उपयोग सभी कश्मीरी समारोह में विशेष रूप से शादियों में गायन के लिए किया जाता है, इसकी जड़ें ईरान और मध्य एशिया तक फैली हुई हैं।

उमर, मिट्टी के दीपक बनाने के अलावा, एक दिन में कम से कम 100 ‘तुंबकनारी’ भी बनाते हैं। ‘तुंबकनारी’ की कीमत उनकी यूनिट में 100 रुपये है जबकि इसे बाजार में 300-500 रुपये प्रति पीस के हिसाब से बेचा जाता है।

उमर को ‘तुंबकनारी’ के लिए लगभग पूरे वर्ष डीलरों से बड़े ऑर्डर मिलते हैं जिसे एक तरफ चमड़े से कवर करने के बाद बाजार में बेचा जाता है।

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