जम्मू-कश्मीर

जवानों के बीच पहुंचे मोदी बोले, दीपावली आतंक के अंत का उत्सव

करगिल 24 अक्टूबर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेना की शौर्य गाथा तथा बलिदान और विजय की भूमि करगिल में वीर जवानों को संबोधित करते हुए सोमवार को कहा कि दीपावली आतंक के अंत का उत्सव है और सेना ने करगिल में आतंक का फन कुचलते हुए विजय पताका फहराया था।

प्रधानमंत्री बनने के बाद से जवानों के बीच दीपावली मनाने की अपनी परंपरा के तहत सोमवार को यहां पहुंचे श्री मोदी ने दुश्मन को बेहद सख्त संदेश भी दिया। उन्होंने कहा, “ भारत पर बुरी नजर डालने वालों को उनके दुस्साहस का उसी भाषा में करारा जवाब दिया जायेगा। ”

जवानों के बीच नौवीं बार दीपावली मनाने पहुंचे प्रधानमंत्री ने सैन्यकर्मियों के साथ मुलाकात की और उन्हें दीपोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा , “ कई वर्षों से आप सब मेरा परिवार हैं , मेरी दीपावली की मिठास और प्रकाश आप लोगों के बीच है , मेरी उमंग आप के पास है। यही मुझे बार-बार मां भारती के वीर बेटे बेटियों के खींच लाती है।”

वर्ष 1999 की करगिल विजय का दीपावली के परिप्रेक्ष्य में उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा , “दीपावली का अर्थ है आतंक के अंत के साथ उत्सव, आतंक के अंत का उत्सव और यही करगिल ने भी किया था। करगिल में हमारी सेना ने आतंक के फन को कुचला था। पाकिस्तान के साथ ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ है जहां करगिल ने विजय पताका नहीं फहराया हो। ” उन्होंने कहा कि कारगिल का कुरूक्षेत्र भारतीय सेना के साहस और शौर्य का गवाह बन चुका है। यहां दुश्मन भारतीय सेना की बहादुरी के आगे बौना बन जाता है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत ने कभी किसी के साथ पहले युद्ध नहीं लड़ा । उन्होंने कहा, “ हमने युद्ध को हमेशा अंतिम विकल्प माना है। चाहे वह लंका में हो या कुरूक्षेत्र में हो उसे अंत तक टाला है। हम युद्ध के पक्षधर नहीं है, लेकिन शांति भी बिना सामर्थ्य के संभव नहीं होती है। हमारी सेनाओं के पास सामर्थ्य भी है और रणनीति भी , अगर कोई हमारी तरफ नजर उठाकर देखेगा तो हमारी तीनों सेनाएं दुश्मन को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना जानती हैं। ”

प्रधानमंत्री ने जवानों से कहा आप सीमा पर कवच बनकर खड़े हैं तो देश के भीतर भी आतंकवाद और नक्सलवाद की जड़ों को उखाड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा , “ भ्रष्टाचारी चाहे कितना ही ताकतवर हो वह बच नहीं सकता और वह बचेगा भी नहीं ।” उन्होंने कहा कि वर्षों तक कुशासन ने देश की प्रगति में बाधा पहुंचायी लेकिन अब राष्ट्रहित में बड़े से बड़े निर्णय तेजी से लिये जाते हैं और उन्हें तेजी से लागू किया जाता है।

सेना का बदलती परिस्थितयों के अनुरूप तैयार किये जाने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा, “ नये दौर में युद्ध का स्वरूप बदल रहा है और उसी के अनुरूप हम सेना को तैयार कर रहे हैं। हर चुनौती का तेजी से सामना करने के लिए सुधार कर एकीकरण पर बल दिया जा रहा है जिससे सेना देश की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी को निभा सके। सेनाओं को स्वदेशी हथियारों से लैस किया जा रहा है। ”

श्री मोदी ने कहा, “जब भारत की ताकत बढ़ती है, तो वैश्विक शांति और समृद्धि की संभावना भी बढ़ती है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ बहुत महत्वपूर्ण है। विदेशी हथियारों और प्रणाली पर हमारी निर्भरता कम से कम होनी चाहिए। सशस्त्र बलों में दशकों से सुधार की जरूरत थी, जिन्हें अब लागू किया जा रहा है। सशस्त्र बलों में महिलाओं को शामिल करने से हमारी ताकत बढ़ेगी।”

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए भावुक होकर कहा कि यहां आकर उनकी 23 वर्ष पुरानी यादें ताजा हो गयी हैं जब वह यहां राहत सामग्री लेकर पहुंचे थे।

दीपावली के मौके पर पूरी दुनिया को शुभकामनाएं देते हुए श्री मोदी ने कहा,“ भारत कामना करता है कि प्रकाश का यह पर्व विश्व के लिए शांति का मार्ग प्रशस्त करे। ”

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