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‘आज़ादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन’ से भी जानें इतिहास : मोदी

यी दिल्ली 31 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव में भारतीय रेलवे के एक अनूठे कार्यक्रम “आज़ादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन” को एक रोचक पहल बताते हुए लोगों से आज अपील की कि वे देश के इन 75 रेलवे स्टेशनों पर जाकर देश के आज़ादी के आंदोलन में उनका इतिहास जानें।

श्री मोदी ने आज यहां आकाशवाणी में अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 91वें संस्करण में कहा कि जुलाई में रेलवे की ओर से एक बहुत ही रोचक प्रयास हुआ है जिसका नाम है – आज़ादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन। इस प्रयास का लक्ष्य है कि लोग आज़ादी की लड़ाई में भारतीय रेल की भूमिका को जानें।

उन्होंने कहा, “देश में अनेक ऐसे रेलवे स्टेशन हैं जो स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े हैं। आप भी इन रेलवे स्टेशनों के बारे में जानकार हैरान होंगे। झारखंड के गोमो जंक्शन को, अब आधिकारिक रूप से, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो के नाम से जाना जाता है। दरअसल इसी स्टेशन पर, कालका मेल में सवार होकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ब्रिटिश अफसरों को चकमा देने में सफल रहे थे। आप सभी ने लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन का नाम भी जरुर सुना होगा। इस स्टेशन के साथ राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान जैसे जांबांजों का नाम जुड़ा है। यहाँ ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को अपनी ताक़त का परिचय करा दिया था। आप जब कभी तमिलनाडु के लोगों से बात करेंगे, तो आपको, थुथुकुडी जिले के वान्ची मणियाच्ची जंक्शन के बारे में जानने को मिलेगा। ये स्टेशन तमिल स्वतंत्रता सेनानी वान्चीनाथन जी के नाम पर है। ये वही स्थान है जहाँ 25 साल के युवा वान्ची ने ब्रिटिश कलेक्टर को उसके किये की सजा दी थी।”

श्री मोदी ने कहा कि ये सूची काफी लम्बी है। देशभर के 24 राज्यों में फैले ऐसे 75 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है। इन 75 स्टेशनों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जा रहा है। इनमें कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन हो रहा है। उन्होंने अपील की कि लोगों को भी समय निकालकर अपने पास के ऐसे ऐतिहासिक स्टेशन पर जरुर जाना चाहिए। उनको स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे इतिहास के बारे में विस्तार से पता चलेगा जिनसे वे अनजान रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं आसपास के स्कूल के विद्यार्थियों से और शिक्षकों टीचर्स से आग्रह करूँगा कि अपने स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को ले करके जरुर स्टेशन पर जाएँ और पूरा घटनाक्रम उन बच्चों को सुनाएँ, समझाएँ।”

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