गणतंत्र की मजबूती के लिए लोगो को संविधान के बारे में जानकारी जरूरी- न्यायमूर्ति रमना
रायपुर 31 जुलाई: उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमना ने आज कहा कि गणतंत्र संविधान से चलता हैं।वह तभी मजबूत होगा जब उसके नागरिकों को संविधान के बारे में जानकारी हो।
न्यायमूर्ति श्री रमना ने हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एचएनएलयू)के पांचवें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि..दुखद वास्तविकता यह है कि सर्वोच्च दस्तावेज, हमारा संविधान जो आधुनिक स्वतंत्र भारत की आकांक्षाओं को परिभाषित करता है, कानून के छात्रों, कानून विशेषज्ञों और भारतीय आबादी के एक बहुत छोटे हिस्से के ज्ञान तक ही सीमित है..। संविधान प्रत्येक नागरिक के लिए है और प्रत्येक व्यक्ति को उनके अधिकारों और कर्तव्यों से अवगत कराया जाना चाहिए”,।
उन्होने कहा कि युवाओं को कानून के शासन और संविधान के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभानी है।उन्होने छात्रों से कहा कि संवैधानिक प्रावधानों को सरल शब्दों में समझाने और इसके लोकाचार को दिमाग में आत्मसात करने का उनका प्रयास होना चाहिए।उन्होने कानूनी पेशे का जिक्र करते हुए कहा कि युवा, जो पहली पीढ़ी के वकील हैं, और अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के माध्यम से पेशे में नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहे हैं।उन्होने कहा कि पारंपरिक तरीकों से मत सोचो। लीक से हटकर सोचना शुरू करें”।
न्यायमूर्ति श्री रमना ने कहा कि “एक वकील को एक ऑलराउंडर, एक नेता और एक बदलाव लाने वाला होना चाहिए।उन्होंने कहा कि ज्ञान और जानकारी सबसे बड़ी संपत्ति है जो किसी के पास हो सकती है।मेरे जीवन के अनुभव ने मुझे सिखाया है कि कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। सबसे अच्छे वकील वे हैं जो इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र और अपने आसपास के अन्य सामाजिक और वैज्ञानिक विकास से अच्छी तरह परिचित हैं।
उन्होने कहा कि एक वकील को एक साधारण दीवानी मुकदमे के साथ-साथ बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित विवादों से निपटने में सक्षम होना चाहिए, संवैधानिक महत्व के मुद्दों से लेकर आईटी से संबंधित अपराधों तक। एक वकील अदालत के समक्ष केवल एक प्रतिनिधि नहीं है। केवल एक क़ानून को जानने से आपको लंबे समय में मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि आपके ग्राहक आपसे व्यवसाय, समाज या यहां तक कि खेल के विभिन्न पहलुओं से अवगत होने की भी उम्मीद कर सकते हैं” ।