मध्यप्रदेश विस शिवराज वक्तव्य दो अंतिम भोपाल
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अनेक तथ्यों को पेश करते हुए कहा कि इससे स्पष्ट है कि महालेखाकार कार्यालय द्वारा अभी प्रारंभिक रूप से बिन्दु उठाए गए हैं। यह भी ध्यान रखने योग्य बात है कि महालेखाकार की यह ड्राफ्ट रिपोर्ट वर्ष 2018 से लेकर 2021 तक की अवधि की है। यानी रिपोर्ट की अवधि में पिछली सरकार के शासन काल के 15 माह भी सम्मिलित हैं।
हमारी सरकार का ये स्पष्ट मानना है कि भले ही सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन ऑडिट दल द्वारा उल्लेखित किये गये सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच होना चाहिए। इसीलिए महिला एवं बाल विकास विभाग ड्राफ्ट रिपोर्ट में उठाए गए सभी बिंदुओं का गंभीरतापूर्वक परीक्षण कर रहा है और हम सभी बिंदुओं पर महालेखाकार को तथ्यात्मक एवं युक्तियुक्त जवाब देंगे।
श्री चौहान ने वक्तव्य के जरिए एक उदाहरण पेश करते हुए कहा कि ड्राफ्ट रिपोर्ट का एक मुख्य बिंदु शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने बेस लाइन सर्वे नहीं किया। साथ ही विभाग ने स्कूल में पढ़ाई नहीं कर रही किशोरी बालिकाओं की संख्या 36 लाख बताई, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार यह आंकड़ा 9 हजार है।
और महिला एवं बाल विकास विभाग ने शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या 5.51 लाख स्वीकार की है। श्री चौहान के अनुसार वास्तविकता यह है कि ऑडिटर ने जो 36 लाख का आंकड़ा बताया है, वो मध्यप्रदेश की 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं की कुल संख्या है, न कि शाला त्यागी बालिकाओं की। हमारी सरकार ने 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं का बेस लाइन सर्वे कर रिपोर्ट सितंबर, 2018 में भारत सरकार को भेजी थी। रिपोर्ट में किशोरी बालिकाओं की संख्या कुल 2 लाख 52 हजार थी। वर्ष 2018 से वर्ष 2021 की अवधि के लिए हितग्राही बालिकाओं की कुल संख्या 5.51 लाख ही है।
श्री चौहान ने कहा कि हमारी सरकार ने मार्च, 2018 में एक क्रांतिकारी निर्णय लिया। एक झटके में पोषण आहार व्यवस्था से निजी कंपनियों को बाहर कर राज्य सरकार ने पोषण आहार की बागडोर प्रदेश के महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपी थी। प्रदेश के 7 जिलों धार, सागर, मण्डला, देवास, नर्मदापुरम, रीवा एवं शिवपुरी में 7 पोषण आहार संयंत्रों का निर्माण 60 करोड़ रुपए की लागत से कराया गया।
उन्होंने कहा कि वहीं दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार आई तो एक बार फिर पोषण आहार व्यवस्था में निजी फर्मों की भागीदारी के प्रयास शुरू हुए। कांग्रेस सरकार ने नवम्बर 2019 में निर्णय लिया कि ये संयंत्र महिला स्व-सहायता समूहों से वापस लेकर पुनः एम. पी. एग्रो को दे दिए जाएं। इस निर्णय के परिणामस्वरूप फरवरी, 2020 में एम.पी.एग्रो ने सभी पोषण आहार संयंत्रों को आधिपत्य में ले लिया। इस प्रकार पोषण आहार व्यवस्था को माफिया मुक्त रखने और स्व-सहायता समूहों को सशक्त करने के हमारे निर्णय को बदल दिया गया।
श्री चौहान ने बताया कि मार्च, 2020 में हमारी सरकार वापस आई। इसके बाद सितंबर, 2021 में ये निर्णय किया गया कि सभी पोषण आहार संयंत्र महिला स्व-सहायता समूहों के परिसंघों को फिर से सौंप दिए जाए। हमने सभी 7 संयंत्र नवम्बर, 2021 से फरवरी, 2022 के बीच राज्य आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों को सौंप दिए। इन समूहों को 141 करोड़ रुपए की राशि एडवांस दी गई, ताकि वे व्यवस्थित रूप से इन संयंत्रों का संचालन शुरू कर सकें। आज इन संयंत्रों का टेक होम राशन प्रदाय से लगभग 750 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का टर्नओवर है।
श्री चौहान के अनुसार ड्राफ्ट आडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि पोषण आहार का परिवहन ऐसे वाहनों से किया गया है, जिनके नम्बर किसी कार, स्कूटर या ट्रेक्टर के हैं या फिर वह नम्बर पोर्टल पर उपलब्ध ही नहीं हैं। ड्राफ्ट रिपोर्ट के साथ 84 चालानों का उल्लेख है, जिनमें उपयोग किए गए वाहन ट्रक के रूप में नहीं बल्कि अन्य किसी वाहन के रूप में पंजीकृत है अथवा जिनका ब्यौरा परिवहन के पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है। ध्यान देने योग्य बात ये है कि इन 84 चालानों में से 31 चालान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से संबंधित हैं।
मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकार (कांग्रेस) के कार्यकाल का एक उदाहरण देते हुए कहा कि 5 अक्टूबर 2019 को जारी चालान से एक वाहन का भी आडिट के अनुसार रिकार्ड नहीं पाया गया है। हमने सत्यापन कराया, तो पता चला कि इस वाहन का सही नम्बर कुछ और था, जो कि वास्तव में एक ट्रक है।
उन्होंने तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि जिस अवधि में पोषण आहार की गुणवत्ता मापदण्डों के अनुरूप नहीं पाई गई, वह संपूर्ण अवधि (मार्च, 2019 से जनवरी, 2020) कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से संबंधित है। पिछली सरकार के कार्यकाल में लगभग 38 हजार 304 मीट्रिक टन मात्रा, जिसका मूल्य 237 करोड़ रुपए राशि है, के टेक होम राशन की गुणवत्ता अमानक होने के बावजूद भी उसे प्राप्त किया गया। इसके कारण संबंधित एजेन्सी का 35 करोड़ रुपए का भुगतान रोक दिया गया था।
श्री चौहान ने कहा कि पिछले ढाई साल में पोषण आहार व्यवस्था से लेकर विभाग की किसी भी योजना के क्रियान्वयन में जिसने भी गड़बड़ी करने की कोशिश की है, सरकार ने उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। अब तक 104 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 22 अधिकारियों को निलंबित किया गया है। 6 को नौकरी से निकाल बाहर किया गया है। 3 अधिकारियों की पेंशन रोकी गई है। 2 की वेतनवृद्धि रोकी गई है और 40 की विभागीय जाँच चल रही है।
मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि अगर पूरी जाँच में कोई भी गड़बड़ी पाई जाएगी, तो कैग की रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना ऐसा करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी, भले ही गड़बड़ी करने वाला कोई भी हो और गड़बड़ी किसी भी शासनकाल की हो। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य से कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार प्रयास करेगी और गड़बड़ी भी नहीं होने देगी