अंकुर कार्यक्रम में 37 लाख से अधिक पौधे रोपे
भोपाल, 28 दिसंबर : विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2021 से मध्यप्रदेश में ‘अंकुर कार्यक्रम’ आरंभ किया। ‘वायुदूत एप’ से संचालित कार्यक्रम में आज तक प्रदेश के 15 लाख 87 हजार 674 नागरिकों ने पंजीयन कराया है। प्रतिभागियों द्वारा 36 लाख 94 हजार 569 पौधरोपण कर फोटो अपलोड की जा चुकी है। सभी जिलों में व्यापक स्तर पर नागरिकों ने पौध-रोपण कार्यक्रम में रुचि दिखाई है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार अंकुर कार्यक्रम में लोगों की आसान सहभागिता के लिये मोबाइल एप-वायुदूत (अंकुर) गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर पर उपलब्ध है। प्रतिभागी अपने संसाधन से कम से कम एक पौधा लगाकर उसकी फोटो वायुदूत एप से अपलोड करते हैं। नागरिकों के प्रोत्साहन के लिये पौध-रोपण के 30 दिन बाद लगाये गये उसी पौधे की नई फोटो एप पर अपलोड कर सहभागिता प्रमाण-पत्र डाउनलोड करने की सुविधा दी गई है। रोपित पौधे की देखभाल के लिये लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से पौध-रोपण के 6 माह बाद तीसरा फोटो एप पर अपलोड करने की भी सुविधा है।
जिलेवार कम्प्यूटर लॉटरी द्वारा चयनित और सत्यापित शहरी एवं ग्रामीण प्रतिभागियों को वृक्ष-वीर और वृक्ष-वीरांगना की उपाधि देकर प्राणवायु अवार्ड से सम्मानित करने का प्रावधान है। कार्यक्रम में एक से 5 मार्च 2022 और 28 जुलाई से 15 अगस्त 2022 तक पौध-रोपण महा अभियान चलाया गया। प्रथम पौध-रोपण महा अभियान में 8 लाख 97 हजार 590 लोगों ने पौध-रोपण कर फोटो अपलोड किये। जुलाई-अगस्त में हुए दूसरे महा अभियान में यह आँकड़ा लगभग दोगुना 17 लाख 28 हजार 77 हो चुका था। दोनों अभियान में नागरिक, विद्यार्थी, शासकीय विभाग, स्वैच्छिक संगठनों ने मुख्यमंत्री के पौध-रोपण संकल्प को एक महाअभियान में बदल दिया है।
कोरोना की दूसरी लहर में प्रकृति प्रदत्त प्राणवायु ऑक्सीजन के अमूल्य उपहार का विश्व को बड़ी शिद्दत से अहसास हुआ। मुख्यमंत्री द्वारा आरंभ, अंकुर कार्यक्रम प्रदेश के हरित आवरण में वृद्धि के साथ वातावरण को प्राणवायु ऑक्सीजन से भी समृद्ध कर रहा है, जो आने वाली पीढ़ी के लिये एक अनुपम भेंट है।
अंकुर कार्यक्रम के प्रथम चरण में 15 फरवरी 2022 तक द्वितीय एवं तृतीय फोटो अपलोड करने वाले प्रतिभागियों में कम्प्यूटर लॉटरी द्वारा जिलेवार चयनित तथा सत्यापित 1175 प्रतिभागियों को प्राणवायु अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। अभियान में किये गये पौध-रोपण की जियो-टेग्ड लोकेशन चिन्हित करने और सत्यापन के लिये मोबाइल एप का इस्तेमाल किया जा रहा है।