इतिहास में कई योग्य लोगों को उचित दर्जा नहीं प्राप्त हुआ-सीतारमण
नयी दिल्ली, 23 नवंबर : केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पिछली कांग्रेस सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के इतिहास में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कई लोगों को उचित दर्जा नहीं मिला।
श्रीमती सीतारमण ने महान योद्धा लचित बरफुकन की 400वीं जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि बीते 70 वर्षों में उल्लेख के पात्र लोगों को इतिहास में उचित दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है।
उन्होंने श्री बरफुकन को पूरी तरह से देशभक्त बताया। श्री बरफुकन को अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि अहोम सैनिक और प्रमुख कमांडर लचित बरफुकन ने असम की सुरक्षा सुनिश्चित की।
उन्होंने कहा “असम और उसके लोगों ने मातृभूमि के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है। अहोम असाधारण थे। असम और उसके पड़ोसी इलाकों को आक्रमणों से सुरक्षित रखा गया था।
श्रीमती सीतारमण ने कहा,“जिस तरह से अहोम वंश ने असम को संरक्षित किया इसने एक बड़ी किलेबंदी के रूप में भी काम किया है। जिसने पूरे दक्षिण पूर्व एशिया को निर्मम आक्रमणों से बचाया है और आक्रमणकारी इससे आगे नहीं बढ़ पाए।”
उन्होंने कहा,“सदियों से इतिहास को अलग-अलग तरीकों से दर्ज करने के लिए मैं असम की संस्कृति से बेहद प्रभावित हूं। इसमें इतिहास को विभिन्न तरीकों से दर्ज किया गया है।” उन्होंने इस दौरान सांस्कृतिक मंत्रालय से असम सरकार के साथ हाथ मिलाने का आग्रह किया जिसमें देश के महान योद्धाओं के इतिहास को एकत्रित किया जाए और इसका प्रचार किया जाए।
इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने संबोधन में कहा कि अगर अहोम ने मुगल आक्रमण को कुचला नहीं होता तो आज दक्षिण पूर्व एशिया का पूरा सांस्कृतिक मानचित्र अलग होता।
बाद में शाम को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने असम के मुख्यमंत्री के साथ राष्ट्रीय राजधानी में सुंदर नर्सरी में लचित दिवस सांस्कृतिक समारोह की शुरुआत की।
श्री रिजिजू ने इस अवसर कहा कि “महान लचित बरफुकन देशभक्ति की भावना और साहस की सर्वोच्च भावना को परिभाषित करते है। मैं महान लचित बरफुकन को सलाम करता हूं।”
उन्होंने कहा कि “यह गर्व की बात है कि हम इस ऐतिहासिक उत्सव का हिस्सा हैं। मैं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जी और उनकी टीम को राष्ट्रीय राजधानी में इस विशेष कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूं।”
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत ताई अहोम समुदाय की पारंपरिक प्रार्थना के साथ हुई।