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गुजरात, तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र में 70 गीगावाट से अधिक पवन ऊर्जा पैदा करने की क्षमता

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर : देश के 2030 तक विभिन्न तकनीकों की मदद से 500 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा पैदा करने की क्षमता के लक्ष्य में अपतटीय पवन ऊर्जा एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है जिसमें अकेले गुजरात और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र पर 70 गीगावाट से अधिक पवन ऊर्जा पैदा करने की क्षमता है।

वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) और नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) ने देश में सौर ऊर्जा के रूप में तेजी से अपतटीय पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने की क्षमता की जांच करने वाला ‘विंड ऑफ चेंज: भारतीय ऑफशोर पवन ऊर्जा क्षेत्र के लिए सीख’ नाम का एक वर्किंग पेपर पेश किया।

यह कार्यक्रम यहां डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा मंगलवार से शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन ‘भारत में स्वच्छ ऊर्जा’ (एसीई 2022) का हिस्सा है, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए सम्मेलन में अक्षय ऊर्जा में देश के हिस्से को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की अतिरिक्त सचिव वंदना कुमार ने कहा,“ वर्तमान में देश आज अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने में चौथे स्थान पर है। पिछले आठ वर्षों में यह क्षमता तीन गुना हो गई है जबकि सौर ऊर्जा में 25 गुना वृद्धि हुई है। हमने तय की गई नीति और कार्यक्रम के प्रयासों और संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण यह हासिल किया है। ”

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद ने कहा, “देश को ऊर्जा संक्रमण पर ध्यान केंद्रित करते हुए भी उपभोक्ताओं को ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा स्वतंत्रता और ऊर्जा विश्वसनीयता पर ध्यान देना चाहिए। ”

वर्किंग पेपर के लेखकों में से एक डब्ल्यूआरआई इंडिया के ऊर्जा कार्यक्रम की वरिष्ठ प्रबंधक काजोल ने पैनल चर्चा में कहा,”अनुबंध निश्चितता, संभावित अपतटिय पवन खरीद दायित्वों और रचनात्मक वित्त प्रणालियों के मॉडल की आवश्यकता है जिससे अपतटिय पवन ऊर्जा को पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके। 2015 की राष्ट्रीय अपतटिय पवन ऊर्जा नीति को अपग्रेड और सुधारना इस क्षेत्र के लिए क्षेत्र को बढ़ावा देगा। ”

एसीई 2022 के अन्य सत्रों में देश के ऊर्जा विस्तार में राज्यों की अक्षय ऊर्जा एजेंसियों की भूमिका में सुधार के तरीकों पर चर्चा हुयी।

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