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नदी तट की मरम्मत के लिए 100 करोड़ मंजूर : ममता

कोलकाता/मालदा 05 मई : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने शुक्रवार को नदी तट के कटाव को गंभीर चिंता का विषय बताते हुए इसकी मरम्मत के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर किए।

सुश्री बनर्जी ने कहा,“हमारे पास नदी के किनारों को बनाए रखने के लिए अपेक्षित धन नहीं है लेकिन उसके बावजूद, मैंने कल समसेरगंज के लिए 50 करोड़ रुपये की घोषणा की। आज, मैं इसे बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दूंगी। इस फंड का उपयोग नदी तट के रखरखाव के काम के लिए किया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ने कहा,“उन लोगों के लिए जिनके घर नदी के किनारे के कटाव के कारण टूट गए हैं, मैं अधिकारियों से अनुरोध करूंगी कि वे उपयुक्त भूमि की तलाश करें और उन्हें पट्टे सौंप दें। जिनके घर नदी के किनारे के करीब हैं और उन्हें खतरा है। कटाव के कारण गिरने से उन्हें अपने आप को बचाने के लिए अपने घरों से बाहर निकलना होगा। मैं जानती हूं कि कोई भी अपना घर और पैतृक संपत्ति छोड़ना नहीं चाहता है क्योंकि इससे उनकी भावना जुड़ी हुई है। लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि हमारे ऊपर कुछ भी नहीं रहता है।”
उन्होंने आगे कहा,“मैं लोगों से यह भी अनुरोध करूंगी कि वे अपने घरों को नदी के किनारे से कुछ दूरी पर बनाएं क्योंकि यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि किस तरफ से कटाव होगा।” उन्होंने कहा,“फरक्का बैराज का मुद्दा नया नहीं है और यह एक पुराना मामला है। मैंने बार-बार फरक्का बैराज प्राधिकरण और केंद्र से बात की है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि हमें केंद्र से कोई सहायता नहीं मिली है। तथ्य यह है कि नदी तटों के कटाव की जाँच एक केंद्रीय विषय है।”

तृणमूल प्रमुख ने कहा,“भारत-बांग्लादेश फरक्का जल संधि के दौरान, बंगाल को इस क्षेत्र के विकास के लिए 700 करोड़ रुपये देने का वादा किया गया था लेकिन आज तक हमें इस संबंध में एक पैसा भी नहीं मिला है। इस संधि को हुए 20 साल से ज्यादा हो गए हैं ।
सुश्री बनर्जी ने कहा,“नदी तट कटाव चिंता का विषय है। मैंने नीति आयोग को इसके बारे में सूचित किया है। मैं मुख्य सचिव एचके द्विवेदी से फरक्का बैराज प्राधिकरण के साथ बात करने के लिए कहूंगी। वे नदी के किनारों को ठीक से बनाए नहीं रखते हैं। जब एक छोर की मरम्मत की जाती है, दूसरे का क्षरण हो जाता है। नतीजतन, नदी के किनारे के करीब स्थित घर ढह जाते हैं।”
सुश्री बनर्जी ने कहा कि भले ही केंद्र नदी के किनारे कटाव को रोकने के लिए धन देने को तैयार नहीं है, लोगों को पता होना चाहिए कि बंगाल सरकार पहले ही इसके लिए 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।

भाजपा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “ नदी के कटाव और बाढ़ प्रबंधन जैसे मुद्दों की देखभाल करना केंद्र का कर्तव्य है। भाजपा राजनीति, दंगा, उकसावे, कीचड़ उछालने, आतंक और फर्जी खबरों को जितना महत्व देती है, उतना ही महत्व नदी तट के कटाव को भी देती तो बात ही कुछ और होती। केंद्र ने पर्यावरण की सुरक्षा को महत्व दिया होता तो पश्चिम बंगाल और भी खूबसूरत होता।”

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