अन्नाद्रमुक विवाद, पलानीस्वामी खेमे की दीवानी याचिका पर सुनवाई 17 मार्च को
चेन्नई, 03 मार्च : मद्रास उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय अन्नाद्रमुक कषगम (अन्नाद्रमुक) की महापरिषद (जीसी) की 11 जुलाई 2022 की बैठक में पारित प्रस्ताव को चुनौती देने वाली याचिका पर दूसरे पक्ष की अनुपस्थिति में अंतरिम आदेश जारी करने से शुक्रवार को इंकार कर दिया। न्यायालय ने इस मामले में अगली सुनवाई 17 मार्च की मुकर्रर की है।
गौरतलब है कि उस प्रस्ताव में पूर्व मुख्यमंत्री एडाप्पडी पलानीस्वामी (ईपीएस) को सर्वसम्मति से पार्टी का अंतिरम महासचिव चुना गया था और असंतुष्ट नेता ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। पार्टी की महापरिषद ने उस बैठक में समन्यक और सह-समन्वयक के पदों को भी समाप्त कर दिया गया था, जिस पर उस समय क्रमशः श्री पलानीस्वामी और श्री पन्नीरसेल्वम सेवा दे रहे थे। प्रस्ताव में कहा गया था कि ये दोनों पदों का अस्तित्व समाप्त हो गया है, क्योंकि दिसंबर 2021 में हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में एकल वोट से उऩका चुनाव किया गया था जबकि उसे 23 जून 2022 को हुई परिषद की बैठक में अनुमोदित नहीं किया गया था।
उसके बाद, उच्च न्यायालय के आदेश के तहत 11 जुलाई की बैठक बुलाई गयी थी। जिसमें श्री पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव चुनते हुए, पार्टी के संस्थापक एमजी रामचंद्रन और पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के दौर की पुरानी व्यवस्था वापस लायी गयी। पार्टी में इसी के बाद से नेतृत्व का झगड़ा शुरू हो गया। श्री पलानीस्वामी का खेमा शीर्ष नेतृत्व पर केवल एक व्यक्ति के नेतृत्व की व्यवस्था के पक्ष में था जबकि ओपीएस पार्टी में शीर्ष पद दो पदों (समन्यक और सह-समन्वयक ) की व्यवस्था बनाए रखने के पक्ष में था।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने कुछ दिन पहले मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें ओपीएस को उसके पद से हटा दिया गया था और उनके समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया गया था जिसमें दो विधायक पीएच मनोज पांडियन और आर वैद्यलिंगम भी शामिल थे।
अन्नाद्रमुक के निष्कासित समन्वयक ओपीएस की दीवानी याचिका पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति सेंतिलकुमार राममूर्ति ने ईपीएस खेमे के खिलाफ उनके बयान को सुने बगैर उन्हें महापरिषद की उस बैठक के प्रस्ताव को लागू करने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी करने से मना कर दिया।
इस मामले में ओपीएस खेमे से मनोज पांडियन ने यह दीवानी याचिका दायर की है। इसे महापरिषद की उस बैठक को वैध ठहराने वाली उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद दाखिल किया गया है, जिसमें कहा गया था कि ओपीएस खेमा चाहे तो संबंधित उच्च न्यायालय में दीवानी मामला दायर कर सकता है।
अदालत ने इस मामले में अन्नाद्रमुक और ईपीएस को नोटिस जारी करना और मामले की सुनवाई के लिए 17 मार्च की तारीख मुकर्रर करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह फिलहाल, इस मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं व्यक्त कर रही है।