अन्य राज्य

अन्नाद्रमुक के ईपीएस समर्थकों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर मनाया जश्न

चेन्नई 23 फरवरी : तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के अंतरिम महासचिव ईडापड्डी के पलानीस्वामी (ईपीएस) के समर्थक 11 जुलाई 2022, जनरल काउंसिल की बैठक और लिए गए फैसले को बरकार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर बेहद खुश हैं और पार्टी में जश्न का माहौल है।

ग्यारह जुलाई को हुई इस बैठक में लिए गये फैसलों को मद्रास उच्च् न्यायालय ने सही बताया था और अब उच्चतम न्यायालय ने भी इसे सही बताते हुए अन्नाद्रमुक समन्वयक ओ पनीरसेलवम की याचिका खारिज कर दी है।

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को श्री पनीरसेलवम के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है जिन्होंने पार्टी को ईपीए और उनके समर्थकों के अधिनायकवाद से बचाने के लिए कुछ दिन पहले ही धर्मयुद्धम -2 की घाेषणा की थी।

उच्चतम न्यायालय के फैसले पर ईपीएस समर्थक टकटकी लगाए थे और फैसला आने के बाद पार्टी कार्यालय के बाहर एकत्र हुई ईपीएस समर्थकों की भीड ने पटाखे जलाकर और मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया।

गौररतलब है कि 11 जुलाई को जनरल काउंसिल (जीसी) की बैठक हुई थी। ईपीएस और पार्टी समन्वयक के बीच नेतृत्व की लड़ाई चरम पर है और पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) पूर्व के पक्ष में हैं ।

जीसी ने ओपीएस को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया उन्होंने जीसी बैठक को छोड़ दिया और उनके साथ पार्टी कार्यालय में घुस गए। समर्थकों ने ताले तोड़े और कुछ जरूरी दस्तावेज ले गए। जिससे दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। बैठक में अन्नाद्रमुक के कोषाध्यक्ष पद से ओपीएस को हटाने के अलावा के अंतरिम महासचिव के रूप में ‘सर्वसम्मति’ से ईपीएस को भी चुना गया था।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलानीस्वामी खेमे के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा गया, जैसा कि हाल ही में चुनाव आयोग ने हाल ही में महाराष्ट्र में शिव सेना पार्टी पंक्ति पर और एकनाथ शिंदे गुट को मान्यता दी। आयोग ने श्री शिंदे के खेमे को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न आवंटित किया। उनके साथ बड़ी संख्या में पार्टी विधायक और पदाधिकारी होने का हवाला दिया। यह उम्मीद की जा रही थी कि जब मामला पहुंचेगा तो ईपीएस कैंप को और मजबूती मिलेगी ।

चुनाव आयोग ने ‘दो-पत्ती’ प्रतीक को ईपीएस कैंप के लिए आवंटित किया था।

Related Articles

Back to top button