भोजन माताएं वेतन की मांग को लेकर पहुंची हाईकोर्ट,केन्द्र व राज्य से मांगा जवाब
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नैनीताल 09 दिसंबर : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तैनात भोजनमाताओं की ओर से विभिन्न मांगो को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।
मामले को उत्तराखंड प्रगतिशील भोजन माता संगठन की ओर से चुनौती दी गई है। इस प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता संगठन की ओर से कहा गया कि भोजन माताएं पिछले 18 -19 सालों से सरकारी स्कूलों में तैनात हैं और भोजन बनाने के अलावा सफाई, ईंधन व लकड़ियां एकत्र करने का कार्य भी करती हैं।
यही नहीं उनसे चुनावों व अन्य मौकों पर भी कार्य करावाया जाता है। कोरोना जैसी महामारी में भी उन्होंने कोविड सेंटरों में कार्य किया। इसके बावजूद सरकार उन्हें न्यूनतम वेतन का भुगतान नहीं कर रही है। कोरोना के दौरान उन्हें काम करने के मात्र 2000 हजार रुपये का भुगतान किया गया।
इसके बावजूद सरकार उन्हें निकालने की प्रक्रिया भी शुरू कर रही है जो असवैंधानिक व अवमानवीय है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी भोजनमाताओं को न्यूनतम वेतन देने के निर्देश दिए हैं। याचिका में न्यूनतम वेतन देने, भोजन बनाने के लिए गैस उपलब्ध कराने व चुनाव और अन्य मौकों पर काम के लिए उचित मानदेय देने की मांग की गई है।