बंगाल पुलिस प्राथमिकी को चुनौती देते हुए सीबीआई ने हाईकोर्ट का रुख किया
कोलकाता 14 दिसंबर : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रामपुरहाट में सीबीआई हिरासत में ललन शेख की सोमवार को अप्राकृतिक मौत में शामिल होने का आरोप लगाते हुए जांच एजेंसी के सात अधिकारियों को नामजद करने वाली बंगाल पुलिस की प्राथमिकी को चुनौती देने के लिए बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की।
न्यायालय सूत्रों ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दोपहर करीब तीन बजे न्यायमूर्ति जॉय सेनगुप्ता के कक्ष में मामला आने की उम्मीद है।
शेख की विधवा रेशमा बीबी ने मंगलवार को रामपुरहाट थाने में सीबीआई के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) और पुलिस अधीक्षक समेत सात अधिकारियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी। रेशमा ने इन अधिकारियों पर जांच के दौरान बोगतुई आने पर उसके पति की हत्या करने की धमकी देने का भी आरोप लगाया है। इस प्राथमिकी के आधार पर राज्य पुलिस की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने रहस्यमय मौत की जांच शुरू कर दी थी।
एफआईआर में सीबीआई के जांच अधिकारी (आईओ) सुशांत भट्टाचार्य का भी नाम है, जो वास्तव में पशु तस्करी मामले की जांच कर रहे हैं।
याचिका में सीबीआई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की क्योंकि प्राथमिकी में उसके कई ऐसे अधिकारियों का नाम लिया गया है, जो वास्तव में बोगतुई नरसंहार मामले की जांच में शामिल भी नहीं हैं।
इस बीच, सीबीआई के ‘सेकंड इन कमांड’ अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) अजय भटनागर मंगलवार को शहर पहुंचे और सीजीओ कॉम्प्लेक्स में अपने अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं।
सीबीआई को बीरभूम के रामपुरहाट स्थित अपने कैंप कार्यालय का पूरा विवरण मिला, जहां सोमवार शाम को ललन शेख मृत पाया गया था।
गत 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपियों में से एक ललन शेख को नरसंहार के लगभग आठ महीने बाद तीन दिसंबर को एक ठिकाने से गिरफ्तार किया गया था। बोगतुई नरसंहार में कुल मिलाकर 10 लोगों की जलने से मौत हो गई थी।
बोगतुई नरसंहार तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख की एक चाय की दुकान के पास हत्या के करीब दो घंटे बाद हुआ।
बोगतुई से मिली एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ललन शेख का बुधवार को रामपुरहाट अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया और शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया।
बोगतुई गांव के रास्ते में परिजन शव को सीबीआई के रामपुरहाट कैंप कार्यालय ले गए और सीबीआई के सात अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग की। परिजनों ने वहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) अधिकारियों से भी तीखी नोकझोंक की थी और बाद में अपने गांव वापस चले गए थे।