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द्रमुक सरकार मेकेदातु बांध का लगातार कर रही है विरोध:दुरईमुरुगन

चेन्नई 29 मार्च : तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने कहा है कि राज्य सरकार कावेरी नदी के उस पार मेकेदातु में एक जलाशय के निर्माण के प्रस्ताव पर कर्नाटक और केंद्र सरकार को लगातार अपनी कड़ी आपत्ति जता रहा है।

श्री दुरईमुरुगन ने कहा कि हमने तब भी आपत्ति जताई थी जब कर्नाटक ने एकतरफा रूप से परियोजना की 67.16 टीएमसी फीट की क्षमता के साथ व्यवहार्यता रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। श्री दुरईमुरुगन ने बुधवार को राज्य विधानसभा में अपने विभाग के लिए अनुदान की मांग को रखते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार कर्नाटक कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के अंतिम आदेश और उच्चतम न्यायालय के निर्णय के उल्लंघन में तथा तमिलनाडु के अधिकारों की रक्षा के लिए कावेरी बेसिन में मेकेदातु या किसी अन्य स्थान पर कर्नाटक को बांध बनाने से रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई सहित सभी आवश्यक कार्रवाई कर रही है।उन्होंने कहा कि जब कर्नाटक ने व्यवहार्यता रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, तो केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने 22 नवंबर, 2018 को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की अनुमति दी थी, जिसके बाद तमिलनाडु ने पड़ोसी राज्य को डीपीआर तैयार करने से रोकने के लिए 30 नवंबर, 2018 को उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

श्री दुरईमुरुगन ने कहा कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ पांच दिसंबर, 2018 को तमिलनाडु द्वारा एक अवमानना ​​याचिका भी दायर की गई थी और ये मामले सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।

इस बीच, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (दक्षिणी क्षेत्र) ने समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मेकेदातु परियोजना स्थल पर निर्माण का मुद्दा उठाया और 21 मई, 2021 को एक समिति को आदेश दिया था कि बिना आवश्यक जानकारी प्राप्त किए किसी भी निर्माण गतिविधि की जांच की जाए।

तमिलनाडु ने अपना जवाब दाखिल करने का अवसर नहीं दिये जाने पर 11 अगस्त, 2021 को उच्चतम न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ एक सिविल अपील दायर की और यह मामला लंबित है।

श्री दुरईमुरुगन ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और उन्होंने स्वयं 17 जून, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और छह जुलाई, 2021 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को ज्ञापन प्रस्तुत किया और उनसे कर्नाटक की प्रस्तावित मेकेदातु जलाशय परियोजना को अनुमति नहीं देने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में तमिलनाडु के सभी विधायी दलों के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने 16 जुलाई, 2021 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से भी मुलाकात की और केंद्र से कर्नाटक की मेकेदातु परियोजना को सह राज्य की सहमति के बिना कोई मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया।

इस बीच कर्नाटक ने अपने 2022-23 के बजट में मेकेदातु परियोजना के लिए 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए, जिसके बाद तमिलनाडु विधानसभा ने 21 मार्च, 2022 को कर्नाटक की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की थी और केंद्र और सीडब्ल्यूएमए से मेकेदातु परियोजना को कोई मंजूरी नहीं देगा का आग्रह करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था।

उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव तीन दिन बाद जल शक्ति मंत्री को भेजा गया था। श्री दुरारीमुरुगन ने बाद में कहा, श्री स्टालिन ने 31 मार्च और 26 मई, 2022 को प्रधानमंत्री को प्रस्तुत ज्ञापन में अन्य बातों के साथ-साथ कर्नाटक की प्रस्तावित मेकेदातु परियोजना को अनुमति नहीं देने का जल शक्ति मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया था।

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