कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास में हीलाहवाली पर हाईकोर्ट सख्त, सचिव तलब
नैनीताल 02 मई : उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने तीर्थ नगरी हरिद्वार में कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास के मामले में सरकार की ओर से की जा रही हीलाहवाली पर मंगलवार को सख्त रुख अख्तियार करते हुए समाज कल्याण विभाग को अदालत के आदेश का अनुपालन करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया है।
साथ ही आदेश के अनुपालन नहीं करने की स्थिति में समाज कल्याण विभाग के सचिव को आगामी 23 मई को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को निर्देश दिए हैं।
हरिद्वार की एक्ट नाऊ वेलफेयर सोसाइटी नामक गैर सरकारी संस्था के पत्र पर दायर जनहित याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार की ओर से कुष्ठ रोगियों के विस्थापन के मामले में अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। आज भी अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं की गई है और न ही उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जा रहा है।
सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई। अंत में अदालत ने समाज कल्याण विभाग के सचिव को 23 मई तक की मोहलत देते हुए अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अदालत ने कहा कि अनुपालन रिपोर्ट पेश करने में विफल साबित होने पर सचिव समाज कल्याण तय तिथि को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होंगे।
यहां बता दें कि उक्त संस्था की ओर उच्च न्यायालय को लिखे गए पत्र पर हाईकोर्ट की ओर से संज्ञान लेकर जनहित याचिका दायर कर ली गई थी। पत्र में कहा गया कि राष्ट्रपति के दौरे के नाम पर तीर्थ नगरी में अतिक्रमण हटाने के दौरान गंगा किनारे बसे कुष्ठ रोगियों के आवास को भी हटा दिया गया। कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास के लिए शासन-प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय की ओर से भी कुष्ठ रोगियों के संबंध में दिये गये दिशा निर्देशों का भी सरकार अभी तक अनुपालन नहीं कर पायी है।