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दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए मेगा बुक फेयर का आयोजन

नयी दिल्ली, 12 जनवरी : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है, जहाँ सरकार के सभी स्कूलों के अध्यापक और बच्चे अपनी पसंद से अपनी लाइब्रेरी के लिए किताबों का चयन हर साल करते हैं।

श्री सिसोदिया ने कहा कि बच्चों के सर्वांगींण विकास में किताबों का अहम् योगदान होता है| इसके महत्त्व को समझते हुए केजरीवाल सरकार ने पिछले 6-7 सालों में अपने स्कूलों की लाइब्रेरी में काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए है| उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छी किताबें उपलब्ध करवाना है| इस दिशा में मेगा बुक फेयर का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और बच्चों को एक बहुत बड़े कलेक्शन में से अपनी पसंद की अच्छी किताबें मिल सकेंगी|

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य है जहाँ सरकार के सारे स्कूल एक साथ इस तरह से बुक फेयर में वर्चुअल रूप से शामिल हो रहे हैं और टेक्नोलॉजी के माध्यम से बुक फेयर में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे एक-एक बच्चे, शिक्षक की भागीदारी को सुनिश्चित किया जा रहा है| उन्होंने कहा कि यह सपना लगता है कि किसी भी स्कूल में लाइब्रेरी के लिए जो किताब खरीदी जाए, वह बच्चों व शिक्षकों के पसंद व उनके आवश्कता के अनुकूल हो| दिल्ली में 2017 तक ऐसा नहीं था लेकिन अब दिल्ली के सरकारी स्कूल अपने बच्चों व शिक्षकों की आवश्यकता के अनुसार किताबें खरीद सकते है| उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में किताबों का बहुत बड़ा योगदान होता है| दिल्ली सरकार ने इसके महत्त्व को समझते हुए 6-7 सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लाइब्रेरियों में बेहद महत्वपूर्ण बदलाव किए गए है |

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश को नंबर-1 शिक्षा के माध्यम से ही बनाया जा सकता है| यदि हमें अपने देश को विश्व का नंबर-1 देश बनाना है तो स्कूलों में अच्छे बिल्डिंग के साथ साथ उनमे अच्छे लाइब्रेरी भी होने बेहद जरुरी है| उन्होंने कहा कि किसी स्कूल में वहां की पढाई का माहौल जानना है तो वहां की लाइब्रेरी को देखना जरुरी है।

दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए गुरुवार को वर्चुअल मेगा बुक फेयर का आयोजन किया गया| मेगा बुक फेयर के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से शिक्षा निदेशालय के स्कूल अपने पुस्तकालयों के लिए बेहतरीन किताबें को चुन सकेंगे| वह पब्लिशर्स को ऑनलाइन आर्डर दे पाएंगे और किताबें स्कूलों तक पहुँच जाएगी, जिससे समय की काफी बचत होगी और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहेगी|

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