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प्रधानमंत्री मोथा के ग्रेटर तिप्रालैंड पर चर्चा करने के लिए त्रिपुरा शाही वंशज को बुलाये

अगरतला 07 दिसंबर : त्रिपुरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर देबबर्मन ने राज्य में अगले वर्ष फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और माकपा के साथ गठबंधन करने की संभावना से इनकार करते हुए, अपने रुख को नरमी दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से त्रिपुरा के स्वदेशी समुदायों की स्वायत्तता और सशक्तिकरण के संवैधानिक समाधान हेतु चर्चा के लिए उन्हें बुलाने का आग्रह किया हैं।

श्री देबवर्मन मंगलावर को दिल्ली में जंतर मंतर पर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की, “चूंकि आप हुर्रियत, एनएससीएन जैसी ताकतों से बात कर सकते हैं, आप बहुत अच्छी तरह से ‘तिप्रसा’ (स्वदेशी आदिवासी) से बात कर सकते हैं उनकी मांगों को पूरा करने के लिए यदि आप मुझे बुलाते हैं, तो मैं आकर ग्रेटर टिपरालैंड की मांग को पूरा करने के लिए बात करूंगा।”
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया, “कृपया बताएं कि त्रिपुरा में आपकी पार्टी के लोग कभी भी मुझे पैसे, पद और अन्य प्रलोभनों के प्रस्ताव के साथ खरीदने का प्रयास नहीं करते हैं, मैं खरीद से परे हूं।”

उन्होंने मीडिया से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “आप मीडिया वाले जो चाहें लिख दें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं ग्रेटर टिप्रालैंड के अपने उद्देश्य के लिए समर्पित हूं।”

उनका आरोप है कि भाजपा नेताओं ने उन्हें पार्टी बोर्ड में लेने के लिए राज्यसभा पदों और कई अन्य चीजों की पेशकश की लेकिन वह लगातार इन प्रस्तावों से इनकार करते रहे है। ग्रेटर तिप्रालैंड की अपनी मांग पर अड़े रहे। त्रिपुरा राज्य के भीतर एक अलग राज्य की एक उदारवादी अवधारणा सरकार में भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी द्वारा उठाया गया।

भाजपा नेताओं ने यहां बुधवार को कहा कि प्रद्योत किशोर भाजपा के साथ आने का प्रयास कर रहे हैं। चूंकि आईपीएफटी पहले से ही त्रिपुरा में भाजपा का भागीदार बन चुका है, प्रद्योत एक विकल्प की तलाश कर रहे है और उन्होंने ग्रेटर टिपरालैंड प्रस्ताव को गढ़ा तथा भाजपा को अपने दबाव में लाने का उनका प्रयास बुरी तरह विफल रहा।

त्रिपुरा के एक वरिष्ठ आदिवासी भाजपा नेता ने कहा, “ टिपरा मोथा ने पहाड़ियों में भाजपा और आईपीएफटी कार्यकर्ताओं पर हमला किया है और त्रिपुरा आदिवासी एडीसी पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया है। श्री प्रद्योत ने सोचा कि उनका भावनात्मक और अवास्तविक प्रस्ताव भाजपा को उनके साथ हाथ मिलाने के लिए मजबूर करेगा लेकिन वह भूल जाते हैं कि एक क्षेत्रीय पार्टी चलाना दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा से निपटने की रणनीति नहीं है जो कि क्षेत्रों के एकीकरण और राष्ट्रीय एकीकरण को मजबूत करने के लिए काम कर रही है। ”

कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना से इंकार करते हुए श्री प्रद्योत ने कहा, “राहुल गांधी, आप मेरे निजी मित्र हैं लेकिन दोस्ती तब तक पीछे रह जाएगी जब तक कि ग्रेटर टिपरालैंड की मांग पूरी नहीं हो जाती।”
उन्होंने कहा कि आप बहुत अच्छी तरह से आगे आ सकते हैं और टिपरासा की इस वैध मांग का समर्थन कर सकते हैं, ग्रेटर टिपरालैंड की मांग पर कोई समझौता नहीं है।

माकपा से श्री देबबर्मन ने कहा, “मैं सीतारामजी से प्यार करता हूं और आपकी देखभाल करता हूं, लेकिन आप नहीं जानते कि आपकी पिछली सरकार ने केवल त्रिपुरा और उसके आदिवासियों की गरीबी और पिछड़ेपन का विपणन किया, लेकिन व्यावहारिक रूप से लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है, मैं ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ नहीं हूं जो टिपरासा और ग्रेटर टिपरालैंड का समर्थन नहीं करता है, हालांकि मैं किसी भी पार्टी का समर्थन और सहयोग करूंगा जो हमारी मांग का समर्थन करती है।”

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