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सूरजकुण्ड मेले में पहाड़ी गुच्छी के स्वाद की धमक

फरीदाबाद 09 फरवरी : हरियाणा में फरीदाबाद के अरावली की वादियों में चल रहे 36 वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुण्ड मेले के फूड स्टॉलों पर इस बार बड़ी संख्या में लोग पहुंच कर हिमाचल प्रदेश में पैदा होने वाली पहाड़ी गुच्छी के व्यंजनों का भरपूर आनन्द ले रहे हैं।
परम्परा, विरासत और सांस्कृति की त्रिवेणी के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध इस मेले में इस बार भारतीय राज्यों के अतिरिक्त शंघाई सहयोग संगठन के 40 देश हिस्सा ले रहे हैं।

कुल्लू के उद्यमी आयुष सूद गुरुवार को कहा कि कुल्लू मनाली, धर्मशाला, चम्बा, मण्डी और कांगड़ा के ऊँचे पर्वतीय स्थलों पर प्राकृतिक रूप में पैदा हो रही पहाड़ी गुच्छी को एकत्र करके संगठित रूप से ‘हिली बास्केट’ नाम के विशिष्ट ब्रांड के रूप में बेचने की पहल की गई है। ताकि राष्ट्रीय बाजार में पहाड़ी गुच्छी के विशिष्ट स्वाद, सुगन्ध के साथ ही सेहत के लिए फायदेमंद पक्ष को भी अनायास उजागर किया जा सके। जोकि यह पहल अभी तक कामयाब दिख रही है। इस गुच्छी के प्लांट आधारित फ़ूड, विटामिन डी, और फैट कम होने की वजह से दिल के लिए उपयोगी मानी जाती है इसका सेवन कोलोस्ट्रोल को कम करके शरीर में ऊर्जा के संचार को बढ़ाता है।

कुल्लू के उद्यमी सूद का कहना है कि पहाड़ी गुच्छी हिमालय क्षत्रों के ऊँचे पर्वतीय स्थलों पर सामान्यता समुद्र तल से 2500 मीटर से 3500 मीटर ऊंचाई पर प्राकृतिक रूप से उगती हैं। सामान्यता यह सब्ज़ी बसंत ऋतु में जंगलों में उगती है। गुच्छी सामान्यता सूखे पेड़ों के नीचे पाई जाती है। गुच्छी की व्यावसायिक खेती अभी तक शुरू नहीं हो सकी है तथा इसकी पैदावार मुख्यता प्रकृतिक या जंगली ही दर्ज की जाती है तथा यही वजह है की यह दुनिया में सबसे महंगे व्यंजनों में शुमार है।

गुच्छी को जंगलों से इकट्ठा करने के बाद धूप में सुखाया जाता है ताकि इसके वास्तबिक स्वरूप को संरक्षित रखा जा सके। इसे जमीन में उगने के एक हफ्ते में ही इकठा करना पड़ता है अन्यथा यह खराब हो जाती है। इसे दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में बेचा जाता है जहाँ औसतन 50,000 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है। श्री सूद ने कहा राज्य में लगभग 20 क्विंटल गुच्छी की पैदावार रिकॉर्ड की जाती है जिसमें से कुल्लू जिला में औसतन चार क्विंटल पहाड़ी गुच्छी की पैदावार होती है।
श्री सूद का कहना है की पहाड़ी गुच्छी को एक अलग ब्रांड के तौर पर पहली बार बाजार में उतारा गया है तथा स्वाद, सुगन्ध के साथ ही इसके ओषधिय गुणों की वजह से भी यह धनाढ्य वर्ग में पसन्द की जाती है।

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