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एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन पर किया दो दिवसीय मानव संसाधन विकास कार्यक्रम

जालंधर, 20 जनवरी : केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, जालंधर 18 और 19 जनवरी को किसानों के लिए दो दिवसीय मानव संसाधन विकास कार्यक्रम का आयोजन जालंधर जिले के रुड़का कलां विकासखंड के रुड़का कलां गांव में किया। इस कार्यक्रम में विकासखंड के विभिन्न गांवों के करीब 70 किसानों ने भाग लिया।

केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, जालंधर के सहायक निदेशक तथा प्रभारी अधिकारी डॉ पी सी भारद्वाज ने किसानों को एकीकृत कीट प्रबंधन की आवश्यकता और अवधारणा के बारे में जागरुक किया। कार्यक्रम में किसानों को विभिन्न विशेषज्ञों के व्याख्यान और खेत भ्रमण के माध्यम से बीमारियों और कीटों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सभी आईपीएम उपकरणों को अपनाकर फसलों के कीटों के प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया और कीटनाशकों के आवश्यकता आधारित और विवेकपूर्ण उपयोग करने की सलाह दी।

इस केंद्र के विशेषज्ञ डॉ अंकित कुमार, सहायक पौध संरक्षण अधिकारी ने किसानों को कीट-रोगजनक कवक यानी ट्राइकोडर्मा, ब्यूवेरिया बेसियाना, मेटाराइजियम आदि और उनके कीट प्रबंधन में उपयोग के बारे में जागरुक किया। किसानों को कवक और जीवाणु रोगों से बचने के लिए ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास के साथ बीज का उपचार करने के लिए भी कहा। श्री चन्द्रभान, सहायक पौध संरक्षण अधिकारी ने किसानों को विभिन्न उपयोगी जालों जैसे फेरोमोनजाल, पीला और नीला चिपचिपा जाल, फल मक्खीजाल और ट्राइकोग्रामा, ब्रेकोन, क्राइसोपरला आदि विभिन्न जैव-प्रतिनिधियों और कीट प्रबंधन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीआईपीएमसी टीम के साथ-साथ राज्य के कृषि अधिकारी, डॉ जसवंत रॉय, मुख्य कृषि अधिकारी, जालंधर, डॉ संजीव कटारिया, उप निदेशक, कृषि विज्ञान केंद्र, नूरमहल और डॉ रंजीत सिंह चौहान, कृषि अधिकारी, रुड़का कलां ने भी भाग लिया।

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