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‘परमात्मा’ से जुड़ी जनहित याचिका खारिज, एक लाख रुपये का जुर्माना

नयी दिल्ली 05 दिसंबर : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें भारतीयों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि उन्हें श्री श्री ठाकुर अनुकुल चंद्र को ‘परमात्मा’ के रूप में मानना और पालन करना चाहिए। न्यायालय ने साथ ही याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा,“भारत में सभी को अपने धर्म का पालन करने का पूरा अधिकार है। आप (उपेंद्र नाथ दलाई) यह नहीं कह सकते कि सभी को केवल एक धर्म का पालन करना है।” पीठ ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने के साथ ही इस याचिका को भी खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता ने श्री श्री ठाकुर अनुकुल चंद्र को ‘परमात्मा’ के रूप में मानने का निर्देश देने की मांग की थी।
शीर्ष अदालत ने याचिका को ‘प्रचार हित याचिका’ के रूप में समाप्त कर दिया और उनसे कहा,“यदि आप चाहें, तो आप उन्हें परमात्मा मान सकते हैं। इसे दूसरों पर क्यों थोपें?”

अदालत ने कहा,“याचिका पूरी तरह से गलत है, जिसे आज से चार सप्ताह के भीतर इस अदालत की रजिस्ट्री में जमा करने के लिए एक लाख रुपये की अनुकरणीय लागत के साथ खारिज किया जाना चाहिए।”

न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि अब लोग इस तरह की जनहित याचिका दायर करने से पहले कम से कम चार बार सोचेंगे।
याचिकाकर्ता ने भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद (विहिप), ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, नेशनल क्रिश्चियन काउंसिल, श्री पालनपुरी स्थानकवासी जैन एसोसिएशन, बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया, पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति, ऑल इंडिया इस्कॉन कमेटी, रामकृष्ण मठ तथा गुरुद्वारा बंगला साहिब को इस मामले में पक्षकार बनाया था।

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