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प्रेमचंद ने आजीवन लेखनी के माध्यम से सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठायी : अनुप्रिया

नयी दिल्ली 31 जुलाई : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने रविवार को हिंदी साहित्य के महान रचनाकार मुंशी प्रेमचंद की 142 वीं जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

सुश्री पटेल ने ट्वीट करके उपन्यास सम्राट को उनकी जयंती पर नमन किया। उन्होंने कहा,“ कलम के माध्यम से सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आजीवन आवाज़ उठाने वाले महान साहित्यकार, साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रतीक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को उनकी जयंती पर शत शत नमन। मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियां आने वाली पीढ़ियों को भारत के ग्रामीण परिवेश और गंगा-जमुनी तहजीब की झलक दिखाती रहेंगी।”

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी था तथा पिता मुंशी अजायबराय लमही में डाक मुंशी थे। उनकी शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी से हुआ और जीवनयापन का अध्यापन से पढ़ने का शौक उन्‍हें बचपन से ही लग गया। तेरह साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ ‘शरसार’, मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया।

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