हिन्दी भाषा का राष्ट्रीय अखण्डता में अहम योगदान-गहलोत
जयपुर, 14 सितंबर : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हिन्दी भाषा का राष्ट्रीय अखण्डता में अहम योगदान बताते हुए कहा है कि इसने देशवासियों में भाईचारे की भावना को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
श्री गहलोत आज यहां सवाई मानसिंह चिकित्सालय महाविद्यालय के मुख्य सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय हिन्दी दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा देश के विभिन्न राज्यों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करती है। हिन्दी हमारे विचारों की अभिव्यक्ति का सषक्त एवं प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रीय अखण्डता की अहम कड़ी है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ. गुंजन गर्ग एवं डॉ. गोपाल काबरा को चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट लेखन के लिए हिंदी सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया तथा ‘भाषा विमर्श’ के स्वर्ण जयंती विशेषांक का विमोचन किया।
श्री गहलोत ने हिन्दी विषय में शत-प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले 393 छात्रों को भी सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि लोगों को आपस में जोड़ने में भाषा का अहम योगदान रहता है। हिन्दी भाषा को प्रोत्साहन देने में सरकार ने कोई कमी नहीं रखी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी हमारी सांस्कृतिक धरोहर की संवाहक है तथा भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि हिन्दी भाषा दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओें में से एक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी की लड़ाई में देश को एक रखने में हिन्दी का बड़ा योगदान रहा है। गांधीजी को तो गुजराती, हिन्दी और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं का ज्ञान था। उन्होंने कहा कि विभिन्न भाषाएं सीखने से हमारे व्यक्तित्व का विकास होता है।
श्री गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा जैसी शानदार योजना संचालित की जा रही है जिसमें 10 लाख रूपए तक का इलाज निःशुल्क दिया जा रहा है। जल्द ही प्रदेश की 1.33 करोड़ महिलाओं का तीन साल तक की इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ निःशुल्क स्मार्टफोन वितरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक करोड़ लोगों को विभिन्न प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पंशन दी जा रही है। श्री गहलोत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि राजस्थान जैसी लोक कल्याणकारी योजनाएं पूरे देश में लागू की जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साहित्यकारों एवं लेखकों की रचनाओं से देश, प्रदेश, जिले और गांव को पहचान मिलती है। सरकार का कर्तव्य है कि उनका सम्मान करे और उन्हें प्रोत्साहन दे। उन्होंने कहा कि हिन्दी लेखन करने वाले साहित्यकारों, पत्रकारों, विज्ञान और तकनीकी, विधि एवं कृषि सहित छह वर्गों में उत्कृष्ट लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए 50 हजार रूपए के रूप में हिन्दी सेवा पुरस्कार भी दिया जाता है।
भाषा एवं पुस्तकालय राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि हिन्दी भाषा देश ही नहीं पूरे विश्व की एक प्राचीन भाषा है। उन्होंने कहा कि समय के साथ हो रहे बदलाव के साथ हिन्दी में भी बदलाव हुए हैं और यह एक सुखद बात है विज्ञान एवं तकनीकी का प्रयोग इस भाषा में बढ़ा है।
मुख्य वक्ता बालेंदु शर्मा ने हिन्दी भाषा में किए जा रहे विज्ञान एवं तकनीकी के प्रयोग की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा विज्ञान में एक समृद्ध भाषा के रूप में पढ़ी और लिखी जाती है। श्री बालेंदु ने हिन्दी भाषा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, तकनीकी, स्टार्ट-अप्स, विज्ञान, रोजगार एवं मार्केटिंग के क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों के बारे में बताया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव भाषा एवं
पुस्तकालय विभाग के पवन कुमार गोयल ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में हिन्दी भाषा का अपना महत्व था। हिन्दी का प्रदेशवासियों के लिए एक अलग स्थान है। अब तकनीक एवं विज्ञान के प्रयोग से हिन्दी भाषा में एक नई ऊर्जा का संचार हो सकेगा।
समारोह में भाषा एवं पुस्तकालय विभाग निदेशक डॉ. मोहन लाल यादव, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरट्टा सहित भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।