राजस्थान

राजस्थान सरकार ईआरसीपी मामले को गलत तरीके से कर रही है पेश-शेखावत

अलवर 20 अगस्त : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्य सरकार पर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) मामले को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर नियमानुसार इस परियोजना को वापस भेजा जाये तो निश्चित रूप से केंद्र सरकार तुरंत प्रभाव से उससे भी अच्छा दर्जा देगी।

श्री शेखावत ने महाराणा प्रताप समिति की ओर से कृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर शुक्रवार देर रात मीडिया से यह बात कही। तेरह जिलों की ईआरसीपी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार इसे गलत तरीके से पेश कर रही है। देश में स्थापित नियम और जितनी भी राष्ट्रीय परियोजनाएं होती हैं उन के अनुसार 75 प्रतिशत निर्भरता पर प्रोजेक्ट बनाए जाते हैं लेकिन सरकार ने 50 प्रतिशत निर्भरता पर प्रोजेक्ट बनाए हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन वसुंधरा सरकार में भी सीडब्ल्यूसी ने पत्र लिखा था। अब राजस्थान सरकार 50 प्रतिशत निर्भरता पर प्रोजेक्ट के लिए क्यों जिद पर अड़ी हुई है। यह वही बता सकती है।

उन्होंने राजस्थान सरकार पर आरोप लगाया कि वह मध्यप्रदेश से भी एनओसी नहीं लाई, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार काम करने की मंशा नहीं रखती बल्कि काम अटकाने की मंशा रखती है।

उन्होंने भगवान कृष्ण का जिक्र किया और राजस्थान में असत्य और अन्याय का शासन बताते हुए इसे उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान वह कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष बन गए तो फिर भी नेताओं पर संकट होगा और पार्टी छोड़कर चले जाएंगे ।

एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि भाजपा के अंदर कोई भी व्यक्ति यह तय नहीं करता कि उसे क्या बनना है, कार्यकर्ताओं को जो दायित्व दिया जाता है उसे समर्पण भाव से किया जाता है। उन्होंने कहा कि वह वर्ष 1992 में छात्र संघ अध्यक्ष बने थे, तब से अब तक संगठन ने जो दायित्व दिया वो कार्य किया। जो छात्र नेता छात्र संघ चुनाव लड़ते हैं । वह प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक में जगह तलाशते हैं। भाजपा में परिवार भाव से काम किया जाता है जो दायित्व मिलता है वही दायित्व का निर्वह्न किया जाता है।

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