अजमेर दरगाह में उर्स की छठी धार्मिक आस्था और परंपरागत तरीके से मनाई गई
अजमेर 29 जनवरी : राजस्थान के अजमेर में चल रहे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स के मौके पर आज उर्स की छठी धार्मिक आस्था और परंपरागत तरीके से मनाई गई।
इसके साथ ही छह दिवसीय उर्स का लगभग समापन हो गया। अब नौ रजब यानी एक फरवरी को बड़े कुल की रस्म के साथ उर्स का विधिवत समापन हो जाएगा।
अजमेर में कड़ाके की ठंड, मेघगर्जना तथा मध्यरात्रि से रुक रुक कर हो रही बरसात के बीच अजमेर दरगाह शरीफ के आहता-ए-नूर में छठी की महफिल शुरू हुई। सुबह आठ बजे से ही खुद्दाम ए ख्वाजा आस्ताना शरीफ पर एकत्रित हो गए और जायरीनों का प्रवेश बंद कर दिया गया। आस्ताना पर खुद्दाम ए ख्वाजा धार्मिक रस्म निभाने में जुटे हुए हैं। उर्स की छठी के मौके पर छठी की फातिहा के साथ छठी का आयोजन हुआ जिसमें गरीब नवाज की शिक्षाओं को भी प्रचारित किया गया। अंजुमन सैयद जादगान ने शानौ शौकत के साथ सदर गुलाम किबरिया तथा सचिव सैयद सरवर चिश्ती की नुमाइंदगी में मजार शरीफ पर मखमली चादर व अकीदत के फूल पेश किए।
इस दौरान शाही चौकी के कव्वाल गरीब नवाज की शान में कलाम पेश कर रहे थे। ख्वाजा साहब की बारगाह में चादर पेश करने के साथ ही देश में अमन चैन, खुशहाली, भाईचारे व कौमी एकता के लिए खुद्दाम ए ख्वाजा की ओर से दुआ की गई और उर्स छठी पर साथिया की धार्मिक रस्म भी पूरी कर ली गई।
दोपहर बाद से आस्ताने शरीफ में खिदमत का समय तीन बजे से रहेगा और जायरीनों को भी चार बजे आस्ताना शरीफ में प्रवेश करने दिया जाएगा। इससे पहले देर शाम के बाद ही बड़ी संख्या में जायरीनों एवं अकीदतमंदों ने गुस्ल देना शुरू किया जिसमें केवड़ा व गुलाब जल के छीटों से आस्ताना शरीफ को उसकी दीवारों को धोया गया। बहुत से अकीदतमंदों ने उस जल को बोतलों लेकर अपने घरों को भी ले गए। मौसम के मिजाज से बिगड़े वातावरण से अजमेर शरीफ में आए जायरीनों को परेशानी और ठंड का सामना भी करना पड़ रहा है।