featureभारत

आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी, देश की रक्षा अब सीमाओं तक सीमित नहीं : मोदी

नयी दिल्ली 18 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश की रक्षा अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित न होकर बल्कि बहुत व्यापक हो गयी है इसलिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है जिसे ध्यान में रखकर सरकार एक नये रक्षा इकोसिस्टम का विकास कर रही है।

श्री मोदी ने सोमवार को यहां नौसेना के पहले स्वावलंबन सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे बहुत व्यापक हो गए हैं और युद्ध के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। उन्होंने कहा , “ पहले हम सिर्फ जमीन, समुद्र और आकाश तक ही अपने डिफेंस की कल्पना करते थे। अब दायरा अंतरिक्ष की तरफ बढ़ रहा है, साइबरस्पेस की तरफ बढ़ रहा है, आर्थिक, सामाजिक स्पेस की तरफ बढ़ रहा है। जैसे-जैसे भारत ग्लोबल स्टेज पर खुद को स्थापित कर रहा है, वैसे-वैसे दुष्प्रचार तथा अपप्रचार के माध्यम से लगातार हमले हो रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भरता हासिल कर हमारे हितों को हानि पहुंचाने वाली ताकतें चाहे देश में हों या फिर विदेश में, उनकी हर कोशिश को नाकाम करना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हर नागरिक को जागरूक करना भी आवश्यक है।

इस मौके पर 75 स्वदेशी प्रौद्योगिकी तथा उत्पादों को देश को समर्पित किये जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहला कदम है और इस संख्या को लगातार बढाने के लिए काम करना है। उन्होंने कहा, “ आपका लक्ष्य होना चाहिए कि भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाए, उस समय हमारी नौसेना एक अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो। ”

आजादी से पहले देश के रक्षा क्षेत्र की मजबूती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी तोपों और मशीनगनों को श्रेष्ठ माना जाता था और बहुत बड़ी संख्या में इनका निर्यात किया जाता था। उन्होंने कहा , “ हमारी होवित्जर तोपों, इशापुर राइफल फैक्ट्री में बनी मशीनगनों को श्रेष्ठ माना जाता था। हम बहुत बड़ी संख्या में एक्सपोर्ट किया करते थे।

लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि एक समय में हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े आयातक बन गए?

भारत का रक्षा क्षेत्र आज़ादी से पहले भी काफी मजबूत हुआ करता था। आज़ादी के समय देश में 18 आयुध फैक्ट्री थीं, जहां तोप समेत कई तरह के सैनिक साजो-सामान हमारे देश में बना करते थे। दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों के हम एक अहम सप्लायर थे। ”

उन्होंने कहा कि इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए सरकार बीते दशकों से सीख लेते हुए नये इकोसिस्टम का विकास कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास को निजी क्षेत्र , अकादमिक जगत, एमएसएमई और स्टार्ट अप के लिए खोल दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को नयी ताकत दी है और प्रौद्योगिकी संस्थानों को रक्षा अनुसंधान और नवाचार से जोड़ा जा रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने रक्षा बजट को बढाया है और इसे विकास के काम में लाने के लिए कदम भी उठाये हैं। स्वदेशी कंपनियों से खरीद की जा रही है जिससे रक्षा आयात लगभग 21 प्रतिशत कम हुआ है जिससे भारत रक्षा आयातक के बजाय एक बड़े निर्यातक की भूमिका में आ रहा है।

Related Articles

Back to top button