भारत

चुनौतियों से निपटने के लिए खेती में तकनीक का समर्थन जरूरी: तोमर

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को किसानों और अन्य हितधारकों के मार्गदर्शन के लिए सार्वजनिक डोमेन में फसल विशिष्ट ड्रोन के साथ कीटनाशकों के अनुप्रयोग के लिए मानक प्रचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) जारी की।

तोमर ने ‘मिलेट उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के लिए मशीनरी’ नामक एक पुस्तिका का भी विमोचन किया। इस अवसर पर तोमर ने कहा कि कृषि हमारी प्रधानता है, इसलिए चाहे रिसर्च का काम हो या योजनाओं के सृजन का, सरकार की पहली प्राथमिकता कृषि को बढ़ावा देने और किसानों की माली हालत में सुधार की रहती है। आज कृषि क्षेत्र में अनेक चुनौतियां हैं। किसानों को खेती में रोकना, नयी पीढ़ी को भी आकर्षित करना और उत्पादन लागत कम करके किसानों का मुनाफा बढ़ाना है। इनके लिए कृषि क्षेत्र में तकनीक का समर्थन बहुत जरूरी हैं, सरकार इस दिशा में सतत प्रयासरत है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में नित-नयी चुनौतियों की संभावनाएं रहती हैं, इसलिए समय-समय पर सोच में बदलाव के साथ ही विधाओं का परिवर्तन जरूरी है। कृषि क्षेत्र की बात करें, तो आने वाले कल में तकनीक का समर्थन किए बिना हम उद्देश्य प्राप्त नहीं कर पाएंगे, इसलिए योजनाओं को तकनीक से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। बड़ी योजनाओं की बात करें तो आज प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत करीब ढाई लाख करोड़ रुपए. किसानों के खातों में पहुंच चुके हैं, जिसमें कोई प्रश्नचिह्न नहीं है। सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के भी अच्छे परिणाम आ रहे हैं। प्राकृतिक खेती जैसे विषयों को आगे बढ़ाया जा रहा है। हमारे देश ने नैनो यूरिया बनाया, नैनो डीएपी आने वाला है। ड्रोन टेक्नालॉजी को सरकार ने कृषि क्षेत्र में स्वीकार किया है। पिछली बार जब टिड्डी का प्रकोप हुआ था तो उस समय ड्रोन के उपयोग की जरूरत महसूस की गई थी, तभी से प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार के पूरे समर्थन के साथ ड्रोन तकनीक हमारे सामने है। कृषि में लागत कम करने और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से शरीर को बचाने में किसान ड्रोन द्वारा व्यापक लाभ मिलेगा।

तोमर ने कहा, “ जब भी हम कोई नया काम करते हैं तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंतिम व्यक्ति तक मदद अवश्य पहुंचे। यही कारण है कि जब ड्रोन की स्कीम बन रही थी, तब सामान्य किसान, सामान्य ग्रेजुएट को भी इसमें जोड़ा गया, ताकि ड्रोन का उपयोग छोटे किसानों तक सुलभ हो सकें। इस दिशा में सभी को मिलकर आगे और भी काम करने की जरूरत है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को और सक्षम बनाने की दृष्टि से भी कार्य करने की जरूरत पर उन्होंने जोर दिया और कहा कि स्नातक-स्नातकोत्तर कृषि विद्यार्थियों के लिए जागरुकता-सत्र कृषि विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों में आयोजित किए जाने चाहिए, जिनसे इन्हें रोजगार का सीधा साधन मुहैया हो सकेगा, वहीं उनकी अपनी भूमि होने पर वे खेती के लिए भी समर्थ होंगे। आम व्यक्ति तक ड्रोन का लाभ पहुंचे, इसकी योजना बनाना चाहिए।

Related Articles

Back to top button