भारतीय रेलवे की परिचालन प्रणाली 5 जी पर आधारित होगी
नयी दिल्ली 03 फरवरी : भारतीय रेलवे विश्व की पहली ऐसी रेलवे होने वाली है जिसका ट्रेन कंट्रोल सिस्टम एवं संरक्षा तंत्र कवच आधुनिक 5 जी संचार तकनीक पर आधारित होगा। यही नहीं रेलवे ने इसी साल अपने यात्री आरक्षण प्रणाली की क्षमता दस गुना बढ़ाने की भी योजना बनायी है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां रेल मंत्रालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आम बजट में रेलवे के आवंटन एवं नये वित्त वर्ष के लक्ष्यों के बारे में बात करते हुए यह जानकारी दी। रेल मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष रेलवे को रिकॉर्ड आवंटन किया है जिसकी विस्तृत अनुदान मांगें आज संसद में पेश की गयीं हैं। बीते आठ वर्षों में रेलवे का बड़े पैमाने पर कायाकल्प हुआ है। इस बार के रिकॉर्ड आवंटन के बाद रेलवे की अवसंरचना के विकास में बहुत तेजी आएगी।
एक सवाल पर श्री वैष्णव ने बताया कि इस समय दुनिया में किसी भी देश में रेलवे 5जी तकनीक पर नहीं आयी है। कुछ विकसित देश 4जी तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप हम ट्रेन कंट्रोल सिस्टम और सिग्नलिंग को 5 जी तकनीक पर लाने जा रहे हैं। इसी प्रकार से टक्कररोधी संरक्षा प्रणाली कवच का भी 5जी अवतार विकसित किया जा रहा है।
उन्होंने बजट में रेलवे की प्रगति के सात बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इस वर्ष यात्री आरक्षण प्रणाली में व्यापक उन्नयन होने जा रहा है। सर्वर की क्षमता को दस गुना बढ़ाया जा रहा है। इस समय प्रति मिनट 25 हजार टिकट की बुकिंग होने तथा चार लाख इन्क्वायरी यानी पूछताछ की क्षमता है। लेकिन इसी वर्ष सितंबर तक टिकट बुकिंग की क्षमता दो लाख 25 हजार प्रति मिनट और पूछताछ की क्षमता 40 लाख प्रति मिनट हो जाएगी।
श्री वैष्णव ने कहा कि वर्ष 2022-23 में नयी पटरियां बिछाने की योजनाओं जैसे नयी लाइन, दोहरीकरण, तीसरी एवं चौथी लाइन तथा अमान परिवर्तन के मद में 4500 किलोमीटर लाइनें बिछायीं। इस बार वर्ष 2023-24 में सात हजार किलोमीटर का लक्ष्य रखा गया है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद बहुत सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन के दोनों ओर बसे नगरों, कस्बों एवं गांवों के विकास में पटरियां बाधक नहीं बनें, इसके लिए अब तक 10 हजार 438 उपरिगामी सेतु या अंडरपास बनाये गये हैं। वर्ष 2022-23 में एक हजार उपरिगामी सेतु या अंडरपास बनाये गये हैं तथा अगले वित्त वर्ष के लिए भी इतने ही उपरिगामी सेतु एवं अंडरपास बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि रेलवे ने विभिन्न तकनीकी संस्थानों से परामर्श करके उपरिगामी सेतु एवं अंडरपास की डिजायन में जनता की सहूलियत के हिसाब से परिवर्तन किये हैं।
रेल मंत्री ने कहा कि स्टेशन विकास के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना में 1275 स्टेशनों का विकास किया जाएगा जिनमें से 48 स्टेशनों पर काम शुरू हो गया है। स्टेशन विकास का काम विकास भी एवं विरासत भी के प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप होगा। इन अमृत भारत स्टेशनों में स्थानीय विरासत के गौरवपूर्ण दर्शन होंगे।
उन्होंने कहा कि देश के दो हजार स्टेशनों को यात्रियों के वास्ते रोज़मर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं के चौबीसों घंटे खुलने वाले जनसुविधा केन्द्र खोले जाएंगे जिनमें जनौषधि केन्द्र भी होंगे। यात्री गाड़ी में सवार होने के पहले या गंतव्य पर उतरने के बाद जन सुविधा केन्द्रों से घर की जरूरी चीज़ें खरीद सकेगा।
रेल मंत्री छठवें बिन्दु की चर्चा करते हुए कहा कि एक स्टेशन एक उत्पाद की योजना बहुत कारगर साबित हुई है। इस समय यह 550 स्टेशनों पर काम कर रही है। अगले वित्त वर्ष इसे 750 स्टेशनों पर शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से स्थानीय उत्पादकों को निर्यात के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं।
सातवें बिन्दु के बारे में उन्होंने कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस की तकनीक पर वंदे मेट्रो ट्रेन कम दूरी पर स्थित दो शहरों के बीच लोगों के आवागमन को सुलभ करेगी। अभी इसके डिजायन को तैयार किया जा रहा है। वंदे मेट्रो ट्रेन रेलवे की मुख्य लाइनों पर उत्तर प्रदेश में कानपुर एवं लखनऊ, कानपुर-प्रयागराज, सीतापुर लखनऊ, ग्वालियर-आगरा, ग्वालियर- वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी, वाराणसी-प्रयागराज आदि जैसे सेक्टरों पर शटल सेवा की तरह दिन में कई चक्कर लगाएगी जिससे दैनिक यात्रियों को सर्वाधिक लाभ होगा। इसी प्रकार से हाइड्रोजन आधारित ट्रेन चलाने की तैयारी हो चुकी है। दिसंबर 2023 तक हैरिटेज लाइन पर गाड़ियां हाइड्रोजन से चलने लगेंगी।
मौजूदा मेल एक्सप्रेस गाड़ियों के खराब रखरखाव के बारे में एक सवाल पर रेल मंत्री ने कहा कि इस साल करीब ढाई सौ ट्रेनों के पुराने रैक को नये राजधानी एक्सप्रेस के रैक से बदला गया है। अगले साल 325 ट्रेनों के रैक बदले जाएंगे। अगले तीन साल के भीतर सभी गाड़ियों के रैक बदल दिये जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही कोचों में नये डिजायन के शौचालय तैयार किये गये हैं। करीब 35 हजार कोचों में नये शौचालय फिट किये जा रहे हैं।
वंदे भारत ट्रेन के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वंदे भारत का स्लीपर संस्करण इस साल सितंबर अक्टूबर तक तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वंदे भारत की तकनीक एवं आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता आने के बाद उसे निर्यात की अनुमति मिलेगी। इस समय काेई निर्यात का ऑर्डर नहीं आया है लेकिन तमाम देशों के विशेषज्ञ इसे देखने को बहुत उत्सुक हैं।
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस के मार्गों के चयन के पहले यातायात का अध्ययन किया जाता है और कोशिश होती है कि दो तीन बड़े केन्द्र जुड़ जाएं। उदाहरण के लिए सिकंदराबाद-विजयवाड़ा-विशाखापट्नम वंदे भारत चलने से यह एक आर्थिक कॉरीडोर भी बनता है। उन्होंने कहा कि रेलवे नयी सेवाओं के लिए अब कॉरीडोर के हिसाब से सोच रही है।