उत्तर प्रदेश

उपचार से सामान्य जीवन जी सकते हैं एड्स संक्रमित रोगी

सहारनपुर, 01 दिसम्बर : विश्व एड्स दिवस पर गुरुवार को जिला अस्पताल परिसर में एड्स रोगियों को इस बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों और उपचार के बारे में जागरूक किया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डाॅ. संजीव मांगलिक ने कहा कि सभी एड्स रोगी समुचित उपचार करें और सावधानियां बरतें तो वे सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। कार्यक्रम में जिला क्षय अधिकारी और जिला एड्स नियंत्रण समिति के अध्यक्ष डा. रणधीर सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल में एआरटी सेंटर (एंटी रिट्रो वायरस थेरेपी सेंटर) में सभी एड्स संक्रमितों की जांच की जाती है और जो भी व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित पाए जाते हैं उन्हें यहां से संपूर्ण इलाज मिलता है। एचआईवी संक्रमितों को चाहिए कि वे बीच में दवाइयां न छोड़ें। दवाइयां छोड़ने से शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता (इम्युनिटी) कमजाेर हो जाती है और दवाई सुचारू रखने से इम्युनिटी को बनाए रखती है।

सहायक निदेशक स्वास्थ्य एवं जिला अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डा. बृजेश राठौड़ ने बताया कि जागरूकता के अभाव में लोग एचआईवी की संक्रमण की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। हर महीने 25 से 30 नए रोगी सामने आ रहे हैं। डाॅ. राठौड़ ने बताया कि महिलाओं की तुलना में पुरूष इस संक्रमण की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर में 1800 रोगियों का उपचार चल रहा है। इनमें से 1120 पुरूष, 660 महिलाएं हैं और 20 किन्नर (उभयलिंगी) हैं।

डाॅ. सिंह ने बताया कि गले में लगातार सूजन का रहना, वजन घटते जाना, बीमारी होने के बाद ठीक न होना, मुंह में घाव, त्वचा में खुजली एवं दर्द होना और स्वास्थ्य में लगातार गिरावट जारी रहना एचआईवी संक्रमण के लक्षण हैं। कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने लोगों से कहा कि वे एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क न करें। ऐसे रोगी की सीरिंज, सुईं आदि का इस्तेमाल न करें। उन्होंने बताया कि संक्रमित मां संक्रमित शिशु को जन्म दे सकती है, लेकिन संक्रमित मां के द्वारा बच्चे को दूध पिलाने से संक्रमण नहीं फैलता है। लोगों को जरूरत पड़ने पंजीकृत ब्लैड बैंक से जांच किए गए खून को ही उपयोग में लेना चाहिए।

चिकित्सकों ने लोगों से अपील की कि वे एचआईवी के लक्षण दिखने पर अपनी जांच अवश्य कराएं। क्योंकि जांच और उपचार से व्यक्ति आम लोगों की तरह जीवन जी सकते हैं। संक्रमित लोगों को भी चाहिए कि वे तनावमुक्त जीवनशैली जीवन में अपनाए। हर हाल में ऐसे रोगी दीर्घायु हो सकते हैं।

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