झांसी: स्वतंत्रता सेनानी के घर पहुंचकर आला अधिकारियों ने किया सम्मान
झांसी 13 अगस्त : उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में आला अधिकारियों ने स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाठ के अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 94 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी सत्यदेव तिवारी के आवास पर पहुंच कर उन्हें शनिवार को सम्मनित किया।
आज जिलाधिकारी रविंद्र कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) शिवहरि मीणा, मुख्य विकास अधिकारी शैलेश कुमार, अपर जिलाधिकारी नमामि गंगे संजय कुमार पांडे और नगर मजिस्ट्रेट अंकुर श्रीवास्तव ने जनपद झांसी के 94 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सत्यदेव तिवारी जी का उनके निज निवास पर पहुंच कर उन्हें शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। जिलाधिकारी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से उनके स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी ली तथा तत्काल इलाज की व्यवस्था के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया। उन्होंने युवा पीढ़ी को ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने आजादी के लिए किये जा रहे संघर्ष के दौरान अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि जब उनकी उम्र केवल 12 वर्ष की थी तब उन्होंने ब्रिटिश थानेदार को थप्पड़ मार दिया था। दरअसल क्रांतिकारियों की मदद करने के आरोप में उन्हें और उनके पिता को पुलिसकर्मी थाने ले गए थे।
थाने में थानेदार मेरे पिता से गाली गलौज कर रहा था यह गाली गलौज बर्दाश्त नहीं हुई और थानेदार को थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों की पुलिस के हाथों भयानक रूप से पीटने के बाद पिता के रास्ते पर चलते हुए अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की राह पकड़ ली। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा सम्मान एक सुखद अनुभूति है। यह जानकर अच्छा लगा कि जिला प्रशासन को हम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की चिंता है। उन्होंने जिलाधिकारी सहित समस्त अधिकारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में 15 अगस्त 2022 को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में श्री तिवारी की पौत्री सुश्री लक्ष्य तिवारी को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में श्री तिवारी अपनी वृद्धावस्था के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सकेंगे।
इस अवसर पर कहा कि यह हम सब का सौभाग्य है कि हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे है। यह आजादी हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों की शहादत का परिणाम है। उन्होंने अपना लहु देकर सींचा है। उन्होंने कहा कि 1857 की क्रान्ति से 1947 तक भारत के अनेक सपूतों ने अपना सर्वोच्च बलिदान प्राणों को न्यौछावर करते हुए हमें आजादी दिलाई। यह हम सबका दायित्व है कि हम उनके आदर्शो व मूल्यों पर चलकर इस देश की प्रगति में अपना योगदान दें।