वीर बुंदेलों की देशभक्ति का गवाह हवेली दरवाजा अतिक्रमण की चपेट में
महोबा.09 अगस्त : उत्तर प्रदेश के महोबा का ऐतिहासिक हवेली दरवाज़ा मैदान भारतीय स्वाधीनता संग्राम में बुंदेलों के अप्रतिम योगदान का साक्षी वह महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए 16 क्रांतिकारियों के हंसते हुए फांसी चढ़ जाने की गौरव गाथा दर्ज है।
क्रांतिवीरों की स्मृतियों को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर इस मैदान में शहीद स्मारक का निर्माण करा इसे संरक्षित किये जाने की मांग एक बार फिर मुखर हो रही है।
इतिहास गवाह है कि देश व मातृभूमि की जब भी बात आई तो बुंदेले कभी पीछे नही हटे। सन 1857 की गदर में भी उन्होंने बढ़.चढ़ कर हिस्सा लिया। मेरठ से विद्रोह की चिंगारी भड़कने की खबर मिलते ही हमीरपुर जनपद के महोबा ओर आसपास के क्षेत्रों से भी नोजवानों के जत्थे भारत माता की जय का उदघोष करते हुए सड़कों पर निकल पड़े थे, तब अंग्रेज कलेक्टर विटक्लाफ बुंदेलों के इस बगावती अंदाज को देख बुरी तरह भड़क उठा और बर्बरता पर उतर आया था। उसके द्वारा कराई गई कार्यवाही में यहां 100 से अधिक आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी हुई थी। मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था और 16 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई।
हमीरपुर जिला के गजेटियर में दर्ज इस ख़ौफ़नाक मंजर के मुताबिक मौत की सजा पाए सभी क्रांतिकारियों को तब महोबा के हवेली दरवाजा मैदान में स्थित इमली के एक पेड़ में सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया ताकि लोग इसे देखकर डर जाएं और आगे फिर बगावत न करें। फांसी चढ़ने वालों में ज्योराहा का कल्ले बरई, भवानीदीन आदि क्रांतिकारी शामिल थे। गजेटियर में अन्य क्रांतिकारियों के नामों का उल्लेख न होने के कारण वे सभी गुमनाम हो गए।