जम्मू-कश्मीर

बंदूकों की खामोशी ने हमारे जीवन में उमंग, उल्लास भर दिया-कश्मीर निवासी

श्रीनगर 26 फरवरी : भारत और पाकिस्तान सेना के शीर्ष अधिकारियों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष विराम समझौते को गत 25 फरवरी, 2021 को नवीनीकृत किया। दो साल बाद, दोनों पक्षों के बीच समझौते का सख्ती से पालन किया जा रहा है ताकि नियंत्रण रेखा के निवासियों को शांति का लाभ मिल सके और इतने दशकों के बाद सामान्य जीवन जी सकें।

संघर्ष विराम के उल्लंघन ने अबतक कई लोगों की जान ले ली जबकि कई अपंग हो गए। साथ ही करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया था, पिछले दो वर्षों से ऐसे हादसे लगभग शून्य हो गए हैं क्योंकि दोनों पक्षों की बंदूकें शांत हो गई

हैं।

यह भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते की पुन: पुष्टि के दो साल हैं। बारामूला के उत्तरी जिले के उरी क्षेत्र के एक सरपंच मुहम्मद अशरफ ने समाचार एजेंसी कश्मीर न्यूज़ ऑब्जर्वर (केएनओ) को बताया,“संघर्ष विराम समझौते ने जीवन बदल दिया है। आशा है कि यह टिकेगा। हम खुश हैं, इसलिए हमारे परिवार, खासकर बच्चे हैं। खेती की गतिविधियाँ, स्कूली शिक्षा, विवाह, खेल गतिविधियाँ शांतिपूर्वक और सामान्य रूप से बिना किसी डर के चल रही हैं।”

अशरफ ने कहा कि उरी में लोग बिना किसी डर के एलओसी के करीब अपने कृषि क्षेत्रों में जाते हैं। दो वर्ष हमारे जीवन के शांतिपूर्ण वर्ष रहे हैं। भावना अलग है और हम खुश हैं और चुनाव लड़ रहे हैं।”

उरी में नियंत्रण रेखा के करीब गरकोट गांव के रहने वाले साबिर खान ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने संघर्षविराम उल्लंघन का खामियाजा भुगता है। उन्होंने कहा, “मैंने अपनी पत्नी और दो बच्चों को गोलाबारी में खो दिया। मेरे भाई ने अपना पैर खो दिया। हमारे जैसे कई हैं।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा,“उम्मीद है कि एलओसी पर यह चुप्पी जारी रहेगी ताकि हमारे बच्चे आगे शांतिपूर्ण जीवन देख सकें।”

उरी में युवा कोमल मुस्कान ओढ़े हुए हैं। कक्षा 8 के छात्र ज़ैद राशिद ने कहा,“यह सच में अच्छा हैं। हमने पिछले दो वर्षों में कई खेल गतिविधियों में भाग लिया है। इससे पहले, हमारे माता-पिता ने हमें कभी भी खुले में खेलने की अनुमति नहीं दी थी। हम ट्रेकिंग के लिए भी जा सकते हैं। यह अब हमारा जुनून बन गया है।”

इससे पहले 25 फरवरी, 2021 को एक आश्चर्यजनक विकास में, जब दोनों पक्षों में तनाव बढ़ रहा था, भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें लिखा था, “सीमाओं पर पारस्परिक रूप से लाभप्रद और स्थायी शांति प्राप्त करने के हित में, दोनों डीजीएमओ ने एक-दूसरे के मूल मुद्दों और चिंताओं को दूर करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें शांति भंग करने तथा हिंसा को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति शामिल है। दोनों पक्षों ने 24-25 फरवरी 2021 की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा और अन्य सभी क्षेत्रों में सभी समझौतों, समझ और संघर्ष विराम का कड़ाई से पालन करने पर सहमति व्यक्त की।

वर्ष 2003 के संघर्ष विराम समझौते के बाद यह पहली बार था जब दोनों देश युद्धविराम का पालन करने के लिए सहमत हुए थे। यह फैसला पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आया जब ना केवल जम्मू-कश्मीर के सारे विशेषाधिकार वापस ले लिये बल्कि राज्य को दो केंद्र प्रशासित प्रदेश में विभाजित कर दिया गया। कई विश्लेषकों की अटकलों ने सुझाव दिया कि संघर्ष विराम लंबे समय तक नहीं चलेगा, लेकिन नियंत्रण रेखा के साथ प्रचलित शांति ने उन्हें गलत साबित कर दिया है।

करनाह, टीटवाल और कुपवाड़ा के निवासियों ने शांति और खुशी की एक समान कहानी प्रतिध्वनित की। करनाह निवासी अतीका ने कहा,“गोलाबारी और आग के आदान-प्रदान ने हमारे घरों, फसलों को नुकसान पहुंचाया और हमारे प्रियजनों को भी छीन लिया। हमने पिछले दो वर्षों में पहली बार शांति का स्वाद चखा है। हम बिना डरे कभी भी बाहर निकल सकते हैं। हमारे बच्चे पढ़ते हैं और खुले में घूमते हैं। पिछले दो सालों से बंदूकें शांत हो गई हैं, हमें उम्मीद है कि यह ऐसा ही रहेगा। उन्होंने कहा कि पहले उनकी मांग भूमिगत बंकरों के निर्माण की थी, लेकिन अब सीमावर्ती गांवों के निवासी बेहतर सड़कों, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के उन्नयन और कॉलेजों और स्कूलों सहित बेहतर शैक्षिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।”

रक्षा अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्ष संघर्षविराम समझौते का सख्ती से पालन कर रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा,“वर्ष 2021 में, शून्य उल्लंघन थे और वर्ष 2022 में आंकड़ा लगभग समान है। यानी हर ओर शांति का माहौल है जो प्रदेश में तेजी से विकास कार्य को नई गति प्रदान करेगा।”

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