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कश्मीर में जंक फूड है फैटी लिवर महामारी की वजह: डीएके

श्रीनगर 19 अप्रैल : डॉक्टर्स एसोसिएशन (डीएके) कश्मीर ने बुधवार को कश्मीर घाटी में फैटी लिवर की बीमारी में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की।

डीएके के अध्यक्ष डॉ, निसार उल हसन ने विश्व लिवर डे के मौके पर बुधवार को कहा, “ घाटी में फैटी लिवर की बीमारी का वजह जंक फूड है।” उन्होंने कहा कि जंक फूड लोगों की जिंदगी में नियमित हिस्सा बन गया है और इस ने घर में बने हुए भोजन को बड़े पैमाने जगह ले ली है।

उन्होंने कहा कि फास्ट फूडे तेजी से न सिर्फ व्यस्त लोगों के बीच मशहूर हो रहा है, बल्कि बच्चों और नाबालिगों के बीच भी इसका चलन बढ़ रहा है। इन लोगों को पिज्जा और बर्गर जैसे फास्ट फूड को खाते हुए देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि चिप्स, मीठा पेय पदार्थ और बासी खाना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा, “भोजन की आदत में यह बदलाव कश्मीर घाटी में फैटी लिवर का कारण बना है।”

डॉ. हसन ने कहा कि क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एवं हेपेटोलॉजी में प्रकाशित दक्षिणी कैलिफोर्निया के विश्वविद्यालय केक स्कूल ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक फैटी लिवर बीमारी की वजह जंक फूड है।

उन्होंने कहा, “मोटापा या मधुमेह से ग्रसित है, तो फास्ट फूड लिवर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और इसके कारण लिवर अधिकतम मोटा हो सकता है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में हर तीन में से एक व्यक्ति फैटी लिवर से ग्रसित हैं और युवाओं में यह बीमारी सर्वाधिक है। मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति और मोटे व्यक्तियों में इस बीमारी का प्रसार 60 से 70 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज एक जानलेवा बीमारी है, जिसमें लिवर में फैट जमा हो जाता है। यह सिरोसिस या लिवर के जख्म का सबसे आम कारण है जो लिवर की विफलता और यहां तक कि कैंसर का कारण बन सकता है।

फैटी लिवर वाले व्यक्ति को हृदय घात का खतरा रहता है।

उन्होंने कहा, “ इस बीमारी को रोकने के लिए हमें घर से बने खाने की संस्कृति की ओर लौटने तथा जंग फूड से गुरेज करने की जरूरत है। हमें महंगी गाड़ियों की जगह सड़कों और जिम्स में जाने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा, “प्रत्येक साल लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 19 अप्रैल को विश्व लिवर डे के तौर पर मनाया जाता है।”

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