उत्तर प्रदेश

झांसी: चित्रकला प्रदर्शनी में दिखी भारतीय कला की समृद्ध परंपरा

झांसी 27 अगस्त : उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के तत्वाधान में शनिवार को “ अजंता एवं एलोरा -हमारी कला, हमारी पहचान ” विषय पर चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

विश्वविद्यालय के द ड्राइंग एवं पेंटिंग क्लब द्वारा यहां राजकीय संग्रहालय में आयोजित चित्रकला प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ़ मुकेश पाण्डेय ने कहा कि चित्र हमारी सांस्कृतिक, सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का परिचायक होती है। अजंता और एलोरा को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी गई है। यह हमारी कलात्मक अभिव्यक्ति को दुनिया द्वारा दी गई मान्यता है।

प्रो पांडेय ने कहा कि अजंता एलोरा की गुफाएं यहां पर साक्षात प्रकट हो गई हैं। विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कला कृतियां इंटरनेट पर उपलब्ध कला कृतियों से बहुत अलग हैं और जीवंत है। इससे यह सहज ही कहा जा सकता है कि विद्यार्थियों ने अपने शैक्षणिक भ्रमण का पूरा उपयोग किया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झांसी के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने कहा कि जब दुनिया में कोई भाषा नहीं थी तो चित्रों के माध्यम से ही लोग अपनी बात को कहते थे। भारत की कलात्मक वैभव को देखकर लगता है कि यहां लोगों ने कला को संचार के रूप में उपयोग किया है। यह संचार का और स्वयं को बहुत अधिक समय तक व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है।

भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो संजय द्विवेदी ने कहा कि चित्रकला हमेशा से ही प्रसांगिक रही है। बच्चों द्वारा बनाई गई कृतियां समय को जागृत करने में सहायक सिद्ध होंगी।

कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी ने कहा “ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में विद्यार्थियों की मदद से बुंदेली वीथिका का निर्माण किया जाएगा। जिस तरह से आज हम अजंता और एलोरा की कला कृतियों को देखने जाते हैं, उसी तरह से हमारा प्रयास होगा कि यहां की कलात्मकता को संरक्षित किया जाए और दुनिया में अपना स्थान प्राप्त करे।” झांसी मंडल के पर्यटन आयुक्त एस के दुबे जी ने कहा कि अजंता और एलोरा की गुफाएं अपनी विरासत के साथ ही साथ साम्यिकता को अपने में समेटे हुए हैं। विद्यार्थियों के सहयोग से इस तरह कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किया जाएगा।

अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम की संयोजक एवं सृजन दी ड्राइंग एंड पेंटिंग क्लब की समन्वयक डॉ श्वेता पाण्डेय किया व आभार डॉ उमेश कुमार ने दिया। कार्यक्रम का संचालन शाश्वत सिंह ने किया।इस अवसर पर प्रतिभागी शोधार्थी, विद्यार्थी, शिक्षक एवं अन्य उपस्थित रहे।

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