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लोगों को प्रो प्लेनेट पीपल के तौर पर जोड़ता है मिशन लाइफ: मोदी

केवडिया (गुजरात) 20 अक्टूबर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा मिशन लाइफ, धरती के लोगों को प्रो प्लेनेट पीपल के तौर पर जोड़ता है उनको अपने विचार में समाहित करता है एक कर देता है।

श्री मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन नर्मदा ज़िले में स्थित केवड़िया में आज मिशन लाइफ के शुभारंभ अवसर पर कहा गुजरात महात्मा गांधी की भूमि है, जन्मभूमि है। उन विचारकों से एक जो बहुत मैं पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ तालमेल लेकर के जीवन जीने का महत्व समझ गए थे। उन्होंने ट्रस्टीशिप की अवधारणा विकसित की थी। मिशन लाइफ इस सबको पर्यावरण का ट्रस्टी बनाता है। ट्रस्टी वह होता है, जो संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल नहीं होने देता। एक ट्रस्टी एक शोषक के रूप में नहीं बल्कि पोषक के रूप में काम करता है।

उन्होंने कहा,“ मिशन लाइफ पी 3 की अवधारणा को मजबूत करेगा। पी 3 यानी प्रो प्लेनेट पीपल। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहां इस बात की चर्चा रहती है कि कौन किस देश या गुट के साथ है, और कौन किस देश या गुट के खिलाफ है। लेकिन मिशन लाइफ, धरती के लोगों को प्रो प्लेनेट पीपल के तौर पर जोड़ता है, उनको अपने विचार में समाहित करता है, एक कर देता है। ये ‘लाइफ स्टाइल ऑफ द प्लेनेट, फॉर द प्लेनेट एन्ड बाय द प्लेनेट’ के मूल सिद्धांत पर चलता है। ”

उन्होंने कहा कि अतीत से सीखकर ही हम बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। भारत में हजारों वर्षों से प्रकृति की पूजा की समृद्ध परंपरा रही है। हमारे वेदों में भी बहुत सटीक तरीके से कहा है कि जल, जमीन, वायु और सभी प्रकृति प्रदत्त चीजों का महत्व समझाते हैं। जैसे अथर्ववेद कहता है: माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः अर्थात्, पृथ्वी हमारी माता और हम उसकी संतान हैं। ‘रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल’ और सर्कुलर इकॉनॉमी, हजारों वर्षों से हम भारतवासियों की लाइफस्टाइल का अंग रहा है।

उन्होंने कहा,“ हम सभी जानते हैं कि दुनिया के कई हिस्सों में, कई देशों में, ऐसी प्रथाएं आज भी हैं, प्रचलित हैं, जो
हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। मिशन लाइफ प्रकृति के संरक्षण से जुड़ी हर उस लाइफस्टाइल को समाहित करेगा जिसे हमारे पूर्वजों ने अपनाया था और जिसे हम अपनी जीवन शैली का हिस्सा बना सकते हैं। ”

श्री मोदी ने कहा,“ आज भारत में सालाना प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट करीब-करीब डेढ़ टन ही है जबकि दुनिया का औसत चार टन प्रति वर्ष का है। फिर भी भारत क्लाइमेट चेंज जैसी वैश्विक समस्या के समाधान के लिए सबसे आगे आकर काम कर रहा है। इसने उज्जवला योजना शुरू की ताकि कोयले और लकड़ी के धुएँ से मुक्ति मिले। हम वाटर सिक्योरिटी को ध्यान में रखकर भारत में हर जिले में 75 ‘अमृत सरोवर’ आज बनाने का बहुत बड़ा अभियान चला रहे हैं। हमारे यहां वेस्ट से वेल्थ पर अभूतपूर्व बल दिया जा रहा है।

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