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आसियान के सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने 12 सूत्रीय प्रस्ताव दिया

जकार्ता 07 सितंबर: भारत ने आसियान के साथ अपने सहयोग एवं समग्र रणनीतिक साझीदारी को मजबूत बनाने के लिए 12 सूत्रीय प्रस्ताव रखा है जिसमें कनेक्टिविटी, डिजिटल परावर्तन, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव, समकालीन चुनौतियों का समाधान, लोगों के बीच संपर्क और रणनीतिक जुड़ाव को प्रगाढ़ बनाना शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां जकार्ता में 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

विदेश मंत्रालय के अनुसार आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में, प्रधान मंत्री ने आसियान-भारत समग्र रणनीतिक साझीदारी को और मजबूत करने और इसके भविष्य के रोडमैप को तैयार करने पर आसियान भागीदारों के साथ व्यापक चर्चा की। प्रधानमंत्री ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीयता की पुष्टि की और भारत के हिन्द प्रशांत महासागरीय पहल (आईपीओआई) और हिन्द प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण के बीच तालमेल पर प्रकाश डाला। उन्होंने आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए 12-सूत्रीय प्रस्ताव प्रस्तुत किया। प्रस्ताव में दक्षिण-पूर्व एशिया-भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और आर्थिक गलियारे की स्थापना करने, आसियान भागीदारों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक को साझा करने, डिजिटल परावर्तन एवं वित्तीय कनेक्टिविटी में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत कोष स्थापित करने की घोषणा की गई।

श्री मोदी ने भारत एवं आसियान के बीच जुड़ाव को बढ़ाने के लिए ज्ञान भागीदार के रूप में कार्य करने के लिए आसियान और पूर्वी एशिया के आर्थिक और अनुसंधान संस्थान (ईआरआईए) को समर्थन के नवीकरण की घोषणा की और बहुपक्षीय मंचों पर ग्लोबल साउथ के सामने आने वाले मुद्दों को सामूहिक रूप से उठाने का आह्वान किया। उन्होंने भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित किए जा रहे ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन में शामिल होने के लिए आसियान देशों को आमंत्रित किया।

प्रधानमंत्री ने मिशन लाइफ पर एक साथ काम करने का आह्वान किया और जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने में भारत के अनुभव को साझा करने की पेशकश की।

विदेश मंत्रालय के अनुसार सम्मेलन में आतंकवाद, आतंकी वित्तपोषण और साइबर-दुष्प्रचार के खिलाफ सामूहिक लड़ाई लड़ने और आपदा प्रबंधन में सहयोग का आह्वान किया गया तथा आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन में शामिल होने के लिए आसियान देशों को आमंत्रित किया गया। इसके अलावा समुद्री सुरक्षा, सुरक्षा और डोमेन जागरूकता पर सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया गया। भारत आसियान शिखर सम्मेलन में दो संयुक्त वक्तव्य, एक समुद्री सहयोग पर और दूसरा खाद्य सुरक्षा पर, जारी किये गये। भारत और आसियान नेताओं के अलावा, तिमोर-लेस्ते ने पर्यवेक्षक के रूप में शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

इसी प्रकार से 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने इस मंच के महत्व को दोहराया तथा इसे और मजबूत करने के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की। आह्वान किया कि दक्षिण चीन सागर में समुद्री कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र की संधि (यूएनसीएलओएस) पर आधारित आचार संहिता अमल में लायी जाये तथा इस बात पर जोर दिया कि एक स्वतंत्र, खुले और नियम आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह अनुपालन करते हुए सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को सुदृढ़ करने के लिए सबकी प्रतिबद्धता और साझा प्रयास सुनिश्चित किये जाएं।

प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुदृढ़ करने के लिए सबकी प्रतिबद्धता और साझा प्रयास भी आवश्यक हैं। उन्होंने संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को लेकर सैन्य टकराव से बचने के इरादे का इजहार करते हुए कहा, “आज का युग युद्ध का नहीं है। संवाद और कूटनीति ही समाधान का रास्ता है।”

प्रधानमंत्री ने आसियान की केंद्रीयता पर भारत के समर्थन को रेखांकित किया। श्री मोदी ने भारत और आसियान के बीच हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर दृष्टिकोण के तालमेल पर प्रकाश डाला और यह भी कहा कि आसियान क्वाड के दृष्टिकोण का केंद्र बिंदु है।

प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और भोजन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखला और ऊर्जा सुरक्षा सहित वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण का भी आह्वान किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत के कदमों और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, सीडीआरआई, लाइफ और ओसोवोग जैसी भारत की पहलों की भी जानकारी दी।

इसके अलावा दोनों सम्मेलनों में नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

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