‘सुनिश्चित करें कि श्रीलंका भ्रष्टाचार मुक्त हो’
कोलंबो, 29 सितंबर : श्रीलंका के एक प्रमुख समाचार पत्र ने गुरुवार को जापान और अन्य अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि देश में आने वाले धन का उपयोग उसके इच्छित उद्देश्यों के लिए जाना चाहिए और भ्रष्ट राजनेताओं की जेब में नहीं डालना चाहिए।
‘द आइलैंड’ अखबार ने अपने संपादकीय में कहा, “कोई केवल यह आशा ही कर सकता है कि जापान, भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ, आईएमएफ, विश्व बैंक और अन्य सभी राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठन, जिन पर श्रीलंका अब अपनी अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए निर्भर है, सरकार पर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से लडने के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने के लिए दबाव बनायेगा।”यह टिप्पणी श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की टोक्यो में विश्व नेताओं के साथ हुई बैठकों के बाद की गई।
दैनिक ने बताया कि कैसे जापानी विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने विक्रमसिंघे से अनुरोध किया था कि श्रीलंका को “अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों के अनुरूप पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से” विकास वित्त को संभालना चाहिए।
दैनिक ने कहा: “उनके बयान ने सभी श्रीलंकाई लोगों के साथ एक प्रतिक्रियात्मक राग मारा है, जिनके नेताओं ने सार्वजनिक धन की चोरी करके और कुटिल सौदे करके खुद को समृद्ध किया है, और अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है।”
संपादकीय में कहा गया है कि जापान श्रीलंका का सच्चा मित्र रहा है, लेकिन अपदस्थ राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की सरकार को “किसी मामूली बहाने से जापानी-वित्त पोषित लाइट रेल ट्रांजिट परियोजना को रद्द करके जापान का विरोध करने के बारे में कोई शर्म नहीं थी। और उसके आभार का यह बदला दिया।
दैनिक ने उलाहना देते हुये कहा कि एक जापानी राजनयिक ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजपक्षे से शिकायत की थी कि श्रीलंका के एक मंत्री ने जापानी कंपनी से रिश्वत मांगी थी और इसके बाद मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। लेकिन अब विक्रमसिंघे ने उन्हें फिर से कैबिनेट में नियुक्त कर दिया है।