विश्व

गरीब देशों को आर्थिक मदद देने के फैसले का पाकिस्तान ने किया स्वागत

इस्लामाबाद 20 नवंबर : पाकिस्तान ने मिस्र में हुए पर्यावरण सम्मेलन सीओपी 27 में पर्यावरण को साफ करने में गरीब देशों की अर्थिक मदद के लिए विकसित देशों के सहमत होने के फैसले का रविवार को स्वागत किया।

समाचार पत्र ‘डान’ के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पर्यावरण सम्मेलन में बनी इस सहमति को पर्यावरण न्याय के उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक कदम बताया है।श्री शरीफ ने कहा कि अब इस फैसले को एक ऐतिहासिक बदलाव बनाने का दारोमदार ट्राज़ीशनल कमेटी पर है। उन्होंने पाकिस्तान की पर्यावरण परिवर्तन मंत्री शैरी रहमान और उनकी टीम को इस मामले में किये गये जबरदस्त काम के लिए धन्यवाद भी दिया है।

सुश्री रहमान ने ट्वीट किया, “ 134 देशों के लिए नुकसान और क्षति कोष बनाये जाने की मांग को मूर्तरूप लेने में 30 साल का लंबा समय लगा है। हम इस घोषणा का स्वागत करते हैं ।यह फैसला पर्यावरण न्याय के आधारभूत सिद्धांत को मजबूती देने की दिशा में उठाया गया पहला महत्वपूर्ण कदम है।”

सुश्री रहमान ने कहा “ अब यह फंड बन गया है और पाकिस्तान इस पर नजर बनाये हुए है कि अब से इसके तहत काम शुरू होगा ताकि यह वास्तविकता में एक मजबूत संस्था बने जो पूरी दक्षता के साथ पर्यावरणीय विध्वंस झेलने वाले देशों की मददके लिए काम कर सके।”

इस घोषणा से दुनिया भर के संकटग्रस्त समुदायों जो जीवित रहने के लिए पर्यावरणीय खतरों से जूझ रहे हैं ,को नयी उम्मीद मिली है।

सुश्री रहमान ने भी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी का विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए कहा कि इस बातचीत में जहां जरूरी हो वहां मदद दोनों ने मुहैया करायी और शर्म अल शेख के लिए निकलने के बावजूद दोनों ही लगातार इस महत्वपूर्ण वार्ता से जुड़े रहे । उन्होंने कहा “ इन लोगों के ऐसे मजबूत समर्थन के कारण हमें बहुत मदद मिली।”

पर्यावरणीय संकट से जूझ रहे गरीब देशों की आर्थिक मदद को लेकर मिस्र में हुए इस पर्यावरण सम्मेलन में काफी बातचीत हुई जो बहुत तनावपूर्ण स्थिति में भी पहुंची लेकिन रात भर चली मंत्रणा के बाद आखिरकार अंतिम समझौता सामने आया। बैठक के पहले सत्र में तो नुकसान और क्षति फंड बनाने का रास्ता साफ हो गया है जिससे अभी पर्यावरणीय परिवर्तन के कारण बाढ़ या सूखे जैसे हालात से निपटने के लिए तुरंत मददकर दी जायेगी लेकिन इस मामले में कई विवादित फैसले अगले साल होने वाली ट्रांज़ीशनल कमेटी की बैठक में किये जायेंगे जब यह कमेटी देशों के लिए अपनी सिफारिशें देगी।

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