कूनो पालपुर अभयारण्य में इस माह के अंत तक चीतों के लाए जाने की संभावना
श्योपुर/मुरैना, 13 अगस्त : भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने से संबंधित महत्वाकांक्षी योजना के तहत मध्यप्रदेश के चंबल संभाग में स्थित कूनो पालपुर वन अभयारण्य में चीतों को बसाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और अफ्रीका से यहां इसी माह के अंत तक चीते लाए जाने की संभावना है।
चंबल संभाग के श्योपुर जिले में स्थित कूनो पालपुर अभयारण्य में चीतों के लिये बनाये गए बाड़े में घुसे दो तेंदुओं को बाहर निकालने के लिए वन विभाग का अमला इन दिनों पूरी कोशिश में जुटा है। इन तेंदुओं को बाड़े से बाहर निकालने के बाद अफ्रीकी चीतों को यहां लाया जाएगा।
वन विभाग के सूत्रों का हालाकि यह भी कहना है कि तेंदुए ही विलंब का कारण नहीं हैं, बल्कि अफ्रीकी सरकार से कुछ अनुमतियां मिलना भी शेष हैं। दूसरी ओर कूनो पालपुर उद्यान से तेंदुओं को बाहर निकालने में असफल रहे प्रबंधन ने अब तेंदुओं को निकालने के लिए राज्य के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से हाथियों को बुलवाया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संभवत: दो हाथियों के आज या कल में विशेष वाहन से यहां आने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार इन दोनों हाथिओं को कूनो पालपुर नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा, जिससे हाथियों से डरकर तेंदुए वहां से भाग निकलें। कूनो पालपुर अभयारण्य सूत्रों का कहना है कि चीतों के लिए बनाए गए बाड़े में पांच तेंदुए घुस गए थे। इनमें से तीन तेंदुए को तो निकाल दिया गया, लेकिन दो अभी भी विचरण कर रहे हैं। अब इन दोनों तेंदुओं को निकालने के लिये कूनो पालपुर पार्क प्रबंधन को हाथियों का सहारा लेने के लिये मजबूर होना पड़ा है।
सूत्रों ने बताया कि कूनो अभयारण्य में 15 अगस्त से पहले चीतों को लाए जाने का कार्यक्रम तय था, पर अब अगस्त के अंत तक चीतों के लाये जाने की पूरी संभावना हैं। कूनो पालपुर अभयारण्य में चीतों को लाये जाने को लेकर हलचल तेज हुयी है। सूत्रों ने कहा कि चीतों की अगवानी के लिये अभयारण्य प्रबंधन के अधिकारी कई दिनों से नेशनल पार्क के अंदर रहकर तैयारियों में जुटे हुए हैं।
अभयारण्य प्रबंधन सूत्रों के मुताविक चीता प्रोजेक्ट के तहत नामोबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाया जाना हैं। शुरूआत में नामोबिया से आठ चीते (चार-नर और चार-मादा) कूनो पालपुर सेंचुरी में लाए जाने का कार्यक्रम है। सूत्रों का कहना हैं कि चीतों के लिये कूनो में पांच सौ हेक्टेयर में एक बाड़ा बनाया गया है। इसमें अलग-अलग कम्पार्टमेन्ट हैं।
सेंचुरी (अभयारण्य) सूत्रों ने बताया कि कूनो पालपुर नेशनल पार्क 748 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यह छह हजार आठ सौ वर्ग किलोमीटर में फैले खुले वन क्षेत्र का हिस्सा है। चीतों को लाने के बाद उन्हें क्रमिक रूप से बसाहट में छोड़ा जाएगा। दो से तीन महीने बाड़े में रखा जाएगा, ताकि वे यहां के वातावरण में ढल जाएं।
सूत्रों ने बताया कि चीतों को पहले जोहानसबर्ग से दिल्ली लाया जाएगा। इसके बाद दिल्ली से विशेष हेलीकॉप्टर की मदद से कूनो पालपुर सेंचुरी लाया जाएगा। इसके लिए सेंचुरी में हेलीपैड बनाने का कार्य भी तेजी से चल रहा है।
दरअसल देश में वर्षों पहले चीता विलुप्त हो चुके हैं। इन्हें बसाने की वर्षों पुरानी योजना के लिए मध्यप्रदेश का कूनो पालपुर अभयारण्य चुना गया है। इसके लिए अभयारण्य में पिछले चार पांच सालों से तैयारियां चल रही हैं। अब उम्मीद है कि यह अभयारण्य आने वाले समय में चीतों से गुलजार होगा।